डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
[post_title] => कटहल बना किसानों की आमदनी का सहारा, दुमका जिले के कटहल की यूपी-बिहार तक बढ़ी मांग [post_excerpt] => रामगढ़ प्रखंड के कई गांवों से प्रतिदिन ट्रकों में लोड कर भेजे जा रहे हैं कई टन कटहल. जिस कटहल को कभी आर्थिक रूप से बेकार समझा जाता था, वह अब किसानों की किस्मत संवार रहा है. इसके व्यापार से सैकड़ों लोगों की जिंदगी में खुशहाली आ रही है. [post_status] => publish [comment_status] => [ping_status] => [post_password] => [post_name] => jackfruit-became-a-support-for-farmers-income [to_ping] => [pinged] => [post_modified] => 2025-05-21 19:50:29 [post_modified_gmt] => 2025-05-21 14:20:29 [post_content_filtered] => [post_parent] => 0 [guid] => https://www.prabhatkhabar.com/jackfruit-became-a-support-for-farmers-income [menu_order] => 0 [post_type] => post [post_mime_type] => [comment_count] => 0 [filter] => raw [filter_widget] => ) [queried_object_id] => 3468220 [request] => SELECT pk_posts.* FROM pk_posts WHERE 1=1 AND pk_posts.post_name = 'jackfruit-became-a-support-for-farmers-income' AND pk_posts.post_type = 'post' ORDER BY pk_posts.ID DESC [posts] => Array ( [0] => WP_Post Object ( [ID] => 3468220 [post_author] => 4265 [post_date] => 2025-05-21 19:50:29 [post_date_gmt] => 2025-05-21 14:20:29 [post_content] => मणिचयन मिश्र, रामगढ़ (दुमका). कटहल, जिसे पहले गांवों में केवल सब्जी या फल के रूप में ही देखा जाता था, अब किसानों की आय का मजबूत साधन बन चुका है. खासकर दुमका जिले के रामगढ़, काठीकुंड, गोपीकांदर, शिकारीपाड़ा, जामा, मसलिया, सरैयाहाट, रानीश्वर और जरमुंडी तथा दुमका जैसे प्रखंडों में बड़े पैमाने पर कटहल का उत्पादन हो रहा है. कटहल को सुपरफूड माना जाता है. यह एक ऐसी फसल है जिसकी उत्पादन लागत लगभग शून्य होती है. न खाद की जरूरत, न कीटनाशकों की—इस वजह से यह पूरी तरह से जैविक और लाभदायक फसल बन गयी है. पहले जहां कटहल पकने के बाद पेड़ों पर ही सड़ जाता था या पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल होता था, वहीं अब इसके अंतर्राज्यीय व्यापार ने किसानों के लिए आमदनी के नए रास्ते खोल दिए हैं. रामगढ के गांवों के कटहल की उत्तर प्रदेश के बरेली की मंडी तक है धूम : रामगढ़ प्रखंड के महुबना पंचायत स्थित ठाड़ी गांव से प्रतिदिन दो से तीन ट्रक कटहल उत्तर प्रदेश की बरेली मंडी भेजे जा रहे हैं. एक ट्रक पर लगभग 12 से 13 टन कटहल लोड किया जाता है. यही नहीं, स्थानीय व्यापारी किसानों से कटहल खरीदकर बड़े व्यापारियों तक पहुंचा रहे हैं, जो उसे बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की मंडियों में भेजते हैं. मोबाइल से होता है सारा कारोबार : यहां का कटहल का व्यापार अब पूरी तरह डिजिटल हो गया है. मोबाइल के जरिए ही व्यापारियों को ऑर्डर मिल जाता है और भुगतान भी तत्काल हो जाता है. मंडियों के आढ़तियों से ऑर्डर लेने से लेकर भुगतान तक का पूरा काम मोबाइल फोन से संभव हो गया है. सैकड़ों लोगों को मिल रहा रोजगार : कटहल व्यापार से अब सिर्फ किसान ही नहीं, बल्कि ट्रक ऑपरेटर, लोडिंग मजदूर, कमीशन एजेंट और स्थानीय व्यापारी भी लाभ कमा रहे हैं. रामगढ़ प्रखंड के ठाड़ी, गम्हरिया हाट, गंगवारा, जामा के मुसुवाचक, बारापलासी, नोनीहाट और हंसडीहा से कटहल बड़े पैमाने पर बाहर भेजा जा रहा है. ये हैं प्रमुख व्यापारी : पांडव मांझी, मानिक मांझी, धनपति पंजियारा, बलराम मांझी, उत्तम मांझी, रंजीत कुमार मांझी, आनंद मांझी, बजरंग पंडित, अर्जुन मांझी, मुन्ना यादव, सचित कुंअर, शंकर कुंअर, डुगन यादव, कांग्रेस कुंअर और पदोरी यादव, महेश मंडल, जयराम कुंवर जैसे छोटे-बड़े दर्जनों व्यापारी कटहल के व्यापार से जुड़े हैं. कटहल ने बदली किसानों की किस्मत : महारो के बड़े कटहल व्यापारी संतोष सिंह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में यहां के कटहलों की बहुत मांग है. वे खुद रोजाना दो से तीन ट्रक कटहल रामगढ़ प्रखंड के विभिन्न गांवों से उत्तर प्रदेश के बरेली की मंडी में भेजते हैं. जिस कटहल को कभी आर्थिक रूप से बेकार समझा जाता था, वह अब किसानों की किस्मत संवार रहा है. इसके व्यापार से सैकड़ों लोगों की जिंदगी में खुशहाली आ रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
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