1563 किलोमीटर में वर्ष 2028 तक होगा कार्यान्वयन, दो जुलाई को खुलेगा टेंडर
रांची. दक्षिण-पूर्व रेलवे के सभी व्यस्त रूटों पर अब अत्याधुनिक ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली ''कवच'' लगाया जायेगा. यह प्रणाली डिजिटल रेडियो आधारित सिग्नलिंग टेक्नोलॉजी पर आधारित है, जो ट्रेनों की सुरक्षा को लेकर एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है. वर्ष 2028 तक दक्षिण-पूर्व रेलवे के अंतर्गत 1563 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर कवच सिस्टम के कार्यान्वयन की योजना है. रेलवे सूत्रों के अनुसार दो जुलाई 2025 को इस परियोजना के लिए टेंडर खोला जायेगा. टेंडर में भाग लेने की अंतिम तिथि 16 जुलाई 2025 निर्धारित की गयी है.सुरक्षा के प्रति रेलवे की प्रतिबद्धता
रेल प्रबंधन ने स्पष्ट किया कि भारतीय रेलवे की ओर से सुरक्षा को सदैव सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती रही है. ट्रेनों की टक्कर को रोकने, मानवीय त्रुटियों से होने वाली दुर्घटनाओं को न्यूनतम करने के लिए देश में स्वदेशी रूप से विकसित ‘कवच’ प्रणाली को व्यापक रूप से लागू किया जा रहा है. यह प्रणाली न केवल उच्च गति पर ट्रेन संचालन को सुरक्षित बनाती है, बल्कि पायलटों को रीयल-टाइम अलर्ट भी प्रदान करती है, जिससे जोखिम की स्थिति में ट्रेन स्वतः रुक जाती है.इन रूटों पर लगेगा कवच
कवच प्रणाली को आद्रा, रांची, खड़गपुर और चक्रधरपुर मंडलों के तहत आने वाले निम्नलिखित रूटों पर लगाया जायेगा : खड़गपुर-आद्रा सेक्शन, आसनसोल-आद्रा-चांडिल सेक्शन, पुरुलिया-कोटशिला-मुरी सेक्शन, कोटशिला-बोकारो स्टील सिटी सेक्शन, रांची-टोरी सेक्शन. यह पूरा रेल नेटवर्क लगभग 1563 किलोमीटर में फैला हुआ है.कैसे काम करता है कवच
रेलवे अधिकारियों के अनुसार कवच प्रणाली को इस तरह से डिजाइन की गयी है कि यदि किसी ट्रेन को उसकी पटरियों पर निर्धारित दूरी के भीतर दूसरी ट्रेन के मौजूद होने की सूचना मिलती है, तो यह उसे स्वचालित रूप से रोक देती है. यह तकनीक रेडियो कम्युनिकेशन और उन्नत सिग्नल प्रोसेसिंग के माध्यम से कार्य करती है. कवच सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल-4 प्रमाणित है, जो विश्वसनीयता की दृष्टि से किसी भी सुरक्षा प्रणाली का सर्वोच्च स्तर माना जाता है. इस प्रणाली के लगने से ट्रेनें न केवल आमने-सामने की टक्कर से बचेंगी, बल्कि पीछे से टक्कर या सिग्नल को नजरअंदाज करने जैसी घटनाओं से भी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी. कवच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक के ट्रेनों के लिए अनुमोदित किया गया है. परीक्षण के दौरान यह भी प्रमाणित हुआ है कि कवच तकनीक तीन प्रमुख जोखिम स्थितियों, आमने-सामने की टक्कर, पीछे से टक्कर और सिग्नल की अनदेखी में प्रभावी रूप से कार्य करती है.कवच की खूबियां
:: कवच रेडियो के जरिए मूवमेंट अथॉरिटी के कंटीन्युअस अपडेट के सिद्धांत पर काम करती है.
:: यदि रेल इंजन ब्रेक लगाने में असफल रहता है तो कवच टेक्नोलॉजी ऑटोमेटिक तरीके से ब्रेक लगा देती है.
:: एलसी गेट्स पास आते ही ड्राइवर के हस्तक्षेप के बिना कवच अपने आप सीटी बजाना शुरू कर देता है.
:: ट्रेन के रेड सिग्नल के करीब पहुंचने पर अपने आप ब्रेक लग जाते हैं.
:: यह तकनीक लाइन-साइड सिग्नल रिपीट करती है, जो उच्च गति और धुंध वाले मौसम में बेहद उपयोगी है.
:: डायरेक्ट लोको-टू-लोको संवाद के जरिए टक्कर से बचाव.
:: किसी दुर्घटना की स्थिति में एसओएस फीचर को सपोर्ट करती है.B
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
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