ऊगत जाही किरन सों, अथवत ताही कांति ।... त्यों रहीम सुख-दुख सबै, बढ़त एक ही भांति ।। अर्थात – सूर्य जिस ओज और उत्साह से उदय होता है, उसी चमक और दीप्ति के साथ अस्त होता है. ऐसे ही धीर-गंभीर और विवकी पुरुष भी सुख -दु:ख, लाभ-हानि, मान-अपमान आदि सभी स्थितियों में सदैव सम रहते […]
By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2017 7:21 AM
ऊगत जाही किरन सों, अथवत ताही कांति ।
त्यों रहीम सुख-दुख सबै, बढ़त एक ही भांति ।।
अर्थात –सूर्य जिस ओज और उत्साह से उदय होता है, उसी चमक और दीप्ति के साथ अस्त होता है. ऐसे ही धीर-गंभीर और विवकी पुरुष भी सुख -दु:ख, लाभ-हानि, मान-अपमान आदि सभी स्थितियों में सदैव सम रहते हैं. अर्थात – विचलित नहीं होते.