आरजेडी से मोहभंग क्यों?
डॉ. अजीत यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्होंने वर्षों तक राजद के लिए काम किया मगर पार्टी ने उन्हें कभी उचित मान-सम्मान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि उनके पिता सुरेश यादव भी राजद के समर्पित कार्यकर्ता थे, लेकिन पार्टी में उन्हें भी उनकी मेहनत का प्रतिफल नहीं मिला. डॉ. यादव ने कहा, “जब मेरे पिता को कुछ नहीं मिला तो मेरे लिए भी पार्टी में कोई भविष्य नहीं दिखा. भाजपा ने मुझे और मेरे समर्थकों को सम्मान के साथ आमंत्रित किया, इसलिए मैंने यह निर्णय लिया.”
पटना में ही क्यों हुआ आयोजन?
अजीत यादव ने यह भी कहा कि सदस्यता ग्रहण कार्यक्रम पहले जहानाबाद में बड़े स्तर पर आयोजित किया जाना था, लेकिन भाजपा के जिला उपाध्यक्ष सोहन प्रसाद उर्फ कक्कू जी के आकस्मिक निधन के कारण आयोजन पटना में करना पड़ा.
कौन हैं डॉ. अजीत यादव?
डॉ. अजीत यादव न केवल आरजेडी के वरिष्ठ नेता रहे हैं, बल्कि वे जहानाबाद जिले में एक सफल उद्योगपति और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी जाने जाते हैं. उनकी गिनती स्थानीय राजनीति के मजबूत चेहरों में होती रही है. युवाओं में उनकी खास पकड़ रही है. उन्होंने वर्षों तक पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में काम किया है.
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बीजेपी में शामिल हो रहे हैं कई दिग्गज
बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं. हाल के दिनों में बीजेपी में विपक्षी दलों के कई बड़े नेता शामिल हुए हैं. इनमें राजद के पूर्व विधायक अरुण यादव, जदयू से नाता तोड़ चुके संजय सिंह और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. शकील अहमद जैसे नाम शामिल हैं. इसके अलावा पंचायत स्तर से लेकर जिला इकाइयों तक के कई राजद और कांग्रेस नेताओं ने भी भाजपा का हाथ थामा है.
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