संविधान को कूड़ेदान में फेंकने की मानसिकता
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “हाल ही में भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे भयावह अध्याय आपातकाल के 50 वर्ष पूरे हुए, लेकिन यह बेहद दुखद है कि कल पटना के उसी गांधी मैदान में, जहां आपातकाल के दौरान लाखों लोग संविधान की रक्षा के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना जुटे थे, एक रैली आयोजित की गई जिसमें तेजस्वी यादव ने कहा कि हम संसद द्वारा पारित कानून को कूड़ेदान में फेंक देंगे. उन्होंने वक्फ एक्ट के बारे में कहा कि हम इसे कूड़ेदान में फेंक देंगे, जबकि इसे भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किया गया है. इसका मतलब है कि संसद, न्यायपालिका के प्रति कोई सम्मान नहीं है. तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेताओं ने वोट बैंक के चक्कर में जो कुछ भी कहा है, उससे यह स्पष्ट है कि वे संविधान को कूड़ेदान में फेंकने की 50 साल पुरानी मानसिकता से बाहर नहीं आ पा रहे हैं.”
शरिया कानून लागू नहीं करने देंगे
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा,”भाजपा और एनडीए इस बात के लिए गत संकल्पित है कि बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान को और उसके किसी भी प्रावधान को कोई कूड़े में फेंकना चाहेगा तो हम उसे नहीं होने देंगे. मैं महागठबंधन से पूछना चाहता हूं कि क्या आप बिहार में साउदी अरब, इंडोनेशिया, तुर्की और ISIS से ज्यादा बड़ा शरिया कानून लागू करने की सोच रहे हैं. हमें इस बात का सीधा और स्पष्ट जवाब चाहिए. मैं राजद और सपा जैसे दलों से पूछना चाहता हूं कि समाजवाद तो धन का समान वितरण होना चाहिए यह कहता है, लेकिन आप कह रहे हैं कि 49 लाख एकड़ जमीन पर चंद लोगों का कब्जा होना चाहिए. यह एक सोची समझी मानसिकता है, जो समाजवाद के विचार से बिल्कुल विपरीत है.”
नमाजवाद है इनका समाजवाद
सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा, “समाजवाद का चोला ओढ़े ये दल जैसे आरजेडी, समाजवादी पार्टी आदि गरीब और दबे-कुचले मुसलमानों के हक के लिए खड़े नहीं हो रहे हैं. इसलिए आरजेडी और एसपी के समाजवाद को कतई समाजवाद नहीं कहा जा सकता. अगर इसे नमाजवाद कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. बीजेपी और एनडीए गठबंधन इस बात पर अड़ा हुआ है कि अगर कोई बाबा साहब अंबेडकर के संविधान को, उसके किसी भी प्रावधान को कूड़ेदान में फेंकना चाहेगा तो हम ऐसा नहीं होने देंगे.”
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