Bihar Politics: “ओम शांति नहीं, अब ओम क्रांति का समय”, गिरिराज सिंह का विवादित बयान
Bihar Politics: विपक्ष इस बयान को धर्म के नाम पर उकसाने वाला और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ मान सकता है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में मतदाता सूची पुनरीक्षण, जातीय जनगणना, और धार्मिक ध्रुवीकरण जैसे संवेदनशील मुद्दे चर्चा में हैं.
By Ashish Jha | July 9, 2025 6:34 AM
Bihar Politics: बेगूसराय. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के फायरब्रांड नेता गिरिराज सिंह ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. इस बार उन्होंने धार्मिक स्वर में एक विवादास्पद टिप्पणी की है. बेगूसराय सांसद ने साधु-संतों से ‘ओम शांति’ की जगह ‘ओम क्रांति’ का नारा देने की अपील की है. गिरिराज सिंह ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि अधर्म का नाश और धर्म की रक्षा हो, जैसे भगवान राम और लक्ष्मण ने असुरों का नाश कर धर्म की स्थापना की थी. आज जो भी अधर्म कर रहे हैं, उन्हें राम और कृष्ण की राह पर चलकर समाप्त करना जरूरी है.” गिरिराज सिंह के इस बयान पर राजनीतिक विवाद खड़ा होना तय माना जा रहा है.
नरेंद्र मोदी को बताया ‘अधर्म का विनाशक’
बेगूसराय में एक जनसभा को संबोधित करते हुए गिरिराज सिंह ने हिंसा को बढ़ावा देनेवाला उग्र भाषण दिया. उन्होंने कहा कि “अब केवल ‘ओम शांति’ से काम नहीं चलेगा. अब ‘ओम क्रांति’ की आवश्यकता है. समाज को सही दिशा में ले जाने के लिए साधु-संतों को आगे आना होगा. धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश हमारा दायित्व है.” उन्होंने भारत माता, भगवान राम, महादेव और कृष्ण के जयकारे लगाए और कहा कि समाज को इन महान आदर्शों की ओर लौटना होगा. गिरिराज सिंह ने अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को असुरों का विनाश करने वाला बताया. उन्होंने कहा “हमारी बहनों के सिंदूर की रक्षा नरेंद्र मोदी ने की है. जिन लोगों ने सिंदूर मिटाने की कोशिश की, उनका नाश 22 मिनट में कर दिया गया.
विवादित बयानों से रहा है पुराना रिश्ता
गिरिराज सिंह का यह कोई पहला विवादित बयान नहीं है. इससे पहले भी वे राम मंदिर, जनसंख्या नियंत्रण, पाकिस्तान भेजने जैसे बयानों को लेकर विवादों में रह चुके हैं. उनके समर्थक जहाँ इसे धर्म और राष्ट्र की रक्षा का स्वर मानते हैं, वहीं विरोधी इसे ध्रुवीकरण की राजनीति करार देते हैं. विपक्ष इस बयान को धर्म के नाम पर उकसाने वाला और लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ मान सकता है. यह बयान ऐसे समय में आया है जब देशभर में मतदाता सूची पुनरीक्षण, जातीय जनगणना, और धार्मिक ध्रुवीकरण जैसे संवेदनशील मुद्दे चर्चा में हैं.