क्या है राजनीतिक इतिहास ?
2009 के उपचुनाव से लेकर 2015 तक भाजपा के ब्रजकिशोर बिंद ने सीट पर मजबूत पकड़ बनाए रखी. उन्होंने 2010 और 2015 में लगातार जीत दर्ज की, हालांकि 2015 में बसपा के जामा खान से उन्हें बेहद कड़े मुकाबले में मात्र 671 वोटों से जीत मिली। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह समीकरण पूरी तरह बदल गया. बसपा के मोहम्मद जामा खान ने भाजपा के ब्रजकिशोर बिंद को करीब 24,000 वोटों से हराकर निर्णायक जीत दर्ज की. इसके बाद जामा खान ने जदयू का दामन थाम लिया और वर्तमान में वे बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं.
क्या है जातीय समीकरण ?
चैनपुर सीट की सामाजिक संरचना में दलित, मुस्लिम, यादव और ओबीसी समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव है, वहीं ब्राह्मण और कुर्मी जैसी जातियों की भी निर्णायक भूमिका मानी जाती है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है. पिछले चुनावों में मतदान प्रतिशत 64 से 67 फीसदी के बीच रहा है.
Also Read: मोहनिया सीट पर हर चुनाव में बदलाव! 2025 में फिर होगा बड़ा सियासी मुकाबला
क्या है मौजूदा हालात ?
वर्तमान परिदृश्य में जामा खान मंत्री पद की जिम्मेदारी के साथ अपने क्षेत्र में आधार मजबूत कर रहे हैं, वहीं भाजपा इस सीट पर वापसी के लिए जातीय समीकरण और विकास के मुद्दों पर रणनीति बना रही है. आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में चैनपुर में एक बार फिर कड़ा राजनीतिक मुकाबला देखने को मिल सकता है.