जामा खान का जनाधार या भाजपा की वापसी? चैनपुर में फिर घमासान तय

Chainpur Assembly constituency: चैनपुर विधानसभा सीट, कैमूर जिले में स्थित है, जहां राजनीतिक मुकाबले में लगातार बदलाव होते रहे हैं. 2020 में बसपा के जामा खान ने भाजपा को हराया और बाद में जदयू में शामिल होकर मंत्री बने. जातीय समीकरण और विकास के मुद्दे यहां चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं.

By Nishant Kumar | July 12, 2025 12:50 PM
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Chainpur Assembly constituency: चैनपुर विधानसभा सीट, बिहार के कैमूर जिले में स्थित है और इसका राजनीतिक इतिहास लगातार बदलावों से भरा रहा है. शुरुआती दशकों में इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन 1969 के बाद से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी और जनसंघ जैसे दलों ने भी प्रभाव दिखाया. 1970 और 80 के दशक में लाल मुनि चौबे जैसे नेताओं ने भाजपा और जनसंघ के बैनर तले यहां अपनी मजबूत पकड़ बनाई. 1990 के बाद राजनीतिक समीकरण तेजी से बदले, जब महाबली सिंह ने बसपा के टिकट पर जीत हासिल की और इसके बाद 2005 में राजद से भी विजयी हुए.

 क्या है राजनीतिक इतिहास ? 

2009 के उपचुनाव से लेकर 2015 तक भाजपा के ब्रजकिशोर बिंद ने सीट पर मजबूत पकड़ बनाए रखी. उन्होंने 2010 और 2015 में लगातार जीत दर्ज की, हालांकि 2015 में बसपा के जामा खान से उन्हें बेहद कड़े मुकाबले में मात्र 671 वोटों से जीत मिली। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह समीकरण पूरी तरह बदल गया. बसपा के मोहम्मद जामा खान ने भाजपा के ब्रजकिशोर बिंद को करीब 24,000 वोटों से हराकर निर्णायक जीत दर्ज की. इसके बाद जामा खान ने जदयू का दामन थाम लिया और वर्तमान में वे बिहार सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं.

क्या है जातीय समीकरण ? 

चैनपुर सीट की सामाजिक संरचना में दलित, मुस्लिम, यादव और ओबीसी समुदाय का महत्वपूर्ण प्रभाव है, वहीं ब्राह्मण और कुर्मी जैसी जातियों की भी निर्णायक भूमिका मानी जाती है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या लगभग तीन लाख है. पिछले चुनावों में मतदान प्रतिशत 64 से 67 फीसदी के बीच रहा है.

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क्या है मौजूदा हालात ? 

वर्तमान परिदृश्य में जामा खान मंत्री पद की जिम्मेदारी के साथ अपने क्षेत्र में आधार मजबूत कर रहे हैं, वहीं भाजपा इस सीट पर वापसी के लिए जातीय समीकरण और विकास के मुद्दों पर रणनीति बना रही है. आगामी 2025 के विधानसभा चुनाव में चैनपुर में एक बार फिर कड़ा राजनीतिक मुकाबला देखने को मिल सकता है.

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