केवटी विधान सभा क्षेत्र में आरजेडी के सामने वापसी की बड़ी चुनौती, नये चेहरे की तलाश में तेजस्वी
Keoti Vidhan Sabha Chunav 2025: 2005, 2010 और 2020 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और जेडीयू साथ-साथ थे. तीनों बार सीट बंटवारें में केवटी क्षेत्र बीजेपी के हिस्से गया था. बड़ी बात है कि तीनों ही बार बीजेपी कैंडिडेट ने इस सीट पर जीत भी हासिल की. राजद के लिए 2025 में यहां वापसी की बड़ी चुनौती है. पार्टी इस सीट पर इस बार नये चेहरे की तलाश में है.
By Ashish Jha | July 11, 2025 7:48 AM
Keoti Vidhan Sabha Chunav 2025: दरभंगा. जिले के दो विधानसभा क्षेत्र मधुबनी संसदीय क्षेत्र में आते हैं, एक है केवटी और दूसरा जाले. केवटी विधानसभा क्षेत्र से पिछले विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) प्रत्याशी मुरारी मोहन झा ने जीत दर्ज की. उन्होंने महागठबंधन की ओर से राष्ट्रीय जनता दल(आरजेडी) प्रत्याशी अब्दुल बारी सिद्दीकी को चुनावी समर में मात दी. दोनों प्रत्याशियों के बीच जीत का अंतर 5,126 रहा. इस बार समीकरण अलग है. ऐसे में इस बार आरजेडी के सामने वापसी की बड़ी चुनौती है. राजद इस बार नये चेहरे की तलाश में है, वैसे कुछ लोगों को दावा है कि राजद एक बार फिर फराज फातमी पर दांव लगा सकता है.
2010 और 2020 में भाजपा की हुई थी जीत
2015 में आरजेडी और जेडीयू के बीच गठबंधन था और पिछली बार बीजेपी-जेडीयू गठबंधन हो गया.. इससे पहले 2005 और 2010 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और जेडीयू साथ-साथ थे. दोनों बार सीट बंटवारें में केवटी क्षेत्र बीजेपी के हिस्से गया था. बड़ी बात है कि तीन बार बीजेपी कैंडिडेट ने इस सीट पर जीत भी हासिल की थी, लेकिन जब 2015 में जेडीयू ने बीजेपी से मुंह मोड़कर आरजेडी का साथ लिया तो बीजेपी प्रत्याशी को हार मिली.
राजद ने जीता था 2015 का चुनाव
2015 के चुनाव में केवटी विधानसभा सीट पर 54% वोटिंग हुई और कुल 1,45,587 मतदाताओं ने वोट डाले. इन वोटों में 47.14% यानी 68,601 वोट आरजेडी कैंडिडेट फराज फातमी के हिस्से चले गए और उन्होंने बीजेपी कैंडिडेट अशोक कुमार यादव को 7,830 मतों से हरा दिया था. इस तरह अशोक केवटी विधानसभा सीट से जीत की हैट्रिक लगाने से चूक गए. उन्होंने साल 2005 में आरजेडी के गुलाम सरवर को जीत का चौका जड़ने रोका था. बहरहाल, 2015 में अशोक के हिस्से कुल 41.76% यानी 60,771 वोट आए थे. तब भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (CPI) के रामचंद्र शाह को तीसरा स्थान हासिल हुआ था.