“करोड़ों युवाओं के प्रेरणास्रोत प्रशांत किशोर जी के साथ चलकर नए बिहार के निर्माण में सहभागी बनने का मैंने निर्णय लिया है. अपने समर्थकों और शुभचिंतकों से विचार-विमर्श के बाद मैं यह घोषणा करता हूं कि 7 जुलाई को औपचारिक रूप से जन सुराज से जुड़ रहा हूं.”
बीजेपी से मोहभंग की वजहें भी गिनाईं
मनीष कश्यप का यह राजनीतिक रुख यूं ही नहीं बदला. उन्होंने भाजपा से नाराजगी के पीछे का कारण भी साफ किया. उन्होंने बताया कि “पीएमसीएच पिटाई कांड में जब मुझे सरेआम पीटा गया, तब भाजपा के किसी नेता ने हालचाल तक नहीं पूछा. पार्टी चुप रही और उस अन्याय पर मौन साधे रही. ऐसी चुप्पी के बीच वहां बने रहना मेरे आत्मसम्मान के खिलाफ था.”
मनीष ने यह भी बताया कि उन्होंने बीजेपी अपनी मां की इच्छा पर जॉइन की थी, लेकिन अब उन्हें लगता है कि इतनी बड़ी पार्टी में रहकर जनता की समस्याओं को सशक्त तरीके से उठाना मुमकिन नहीं है.
जन सुराज में नई उम्मीद
प्रशांत किशोर की अगुआई में चल रही जन सुराज यात्रा अब बिहार के युवाओं को तेजी से आकर्षित कर रही है. मनीष कश्यप जैसे चर्चित चेहरे का जुड़ना पार्टी के लिए न केवल प्रतीकात्मक, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अहम माना जा रहा है.
स्वास्थ्य व्यवस्था पर सीधा हमला
मनीष ने कहा कि उनकी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं, बल्कि बिहार की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था से है. “मैं उस कुर्सी से लड़ रहा हूं, जिस पर बैठकर आम आदमी को लूटा जा रहा है. ”अब मनीष कश्यप जन सुराज के टिकट पर चनपटिया से चुनाव लड़ सकते हैं. उनका दावा है कि वे किसी भी पार्टी की कठपुतली नहीं बनेंगे. उन्होंने कहा कि “अब मैं खुलकर जनता के मुद्दे उठाऊंगा और राजनीति को सेवा का माध्यम बनाऊंगा.”
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