Paru: क्या पारू सीट पर BJP का दबदबा टूटेगा?

Paru Vidhan Sabha Chunav 2025: पारू विधानसभा क्षेत्र, बिहार राज्य के उत्तर में स्थित मुज़फ्फरपुर जिले का एक प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र है. जो वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र ग्रामीण जनजीवन, कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था और सामाजिक विविधता के लिए जाना जाता है. इसकी राजनीतिक यात्रा 1957 में शुरू हुई, जब इसे पहली बार विधानसभा क्षेत्र के रूप में मान्यता मिली थी.

By Pratyush Prashant | July 11, 2025 2:50 PM
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Paru Vidhan Sabha Chunav 2025: पारू विधानसभा में 1957 में पहले आम चुनाव के दौरान पारू ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन दिया और नवल किशोर सिन्हा पहले विधायक बने थे. इसके बाद कई दशकों में इस सीट पर विभिन्न राजनीतिक दलों का प्रभाव रहा है. कांग्रेस, जनता दल, आरजेडी और भाजपा के बीच सत्ता परिवर्तन होता रहा.

1995 से 2005 तक मिथिलेश प्रसाद यादव का दबदबा रहा, जिन्होंने आरजेडी के बैनर तले कई बार जीत दर्ज की. इसके बाद 2005 से अब तक अशोक कुमार सिंह (भाजपा) इस सीट से कई बार चुने गए हैं और भाजपा की मज़बूत पकड़ बनी हुई है.

2020 विधानसभा चुनाव में इस सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी अशोक कुमार सिंह 77,392 वोट से जात दर्ज की थी. उन्होंने शंकर प्रसाद 62,694 वोट के कड़े मुकाबले से हराया था. यह क्षेत्र जातीय समीकरणों के लिहाज से काफी संवेदनशील रहा है.

पारू विधानसभा की सामाजिक और आर्थिक स्थिति

पारू विधानसभा का क्षेत्रफल ग्रामीण है, जहाँ खेती-किसानी आज भी मुख्य आजीविका है. यहाँ की जनता शिक्षा, स्वास्थ्य, और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं की माँग लंबे समय से करती आ रही है. समय-समय पर सरकारों द्वारा योजनाएं चलाई गईं, लेकिन विकास की रफ्तार अपेक्षा से धीमी रही है.

पारू विधानसभा सीट की कुल आबादी 3,61,662 थी. जिसमें लगभग 1,90,216 पुरुष और 1,71,446 महिलाएं शामिल थीं. यहा का लिंगानुपात 901 महिलाएं प्रति 1000 पुरुष है. जो राष्ट्रीय औसत से कम था। इस क्षेत्र में बच्चों (0–6 वर्ष) की कुल संख्या 62,656 थी, जो पूरी आबादी का करीब 17% हिस्सा है.

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पारू की साक्षरता दर 62.34% दर्ज की गई थी. जिसमें पुरुषों की साक्षरता लगभग 59.32% और महिलाओं की 42.90% थी. यह शिक्षा के क्षेत्र में लिंग असमानता को दर्शाता है. जातीय संरचना में अनुसूचित जाति की आबादी 50,939 और अनुसूचित जनजाति (ST) की आबादी 2,593 थी.

धर्म की दृष्टि से यहां हिंदूओं की जनसंख्या लगभग 85.46% और मुस्लिम आबादी 14.06% थी. यहा की पूरी जनसंख्या ग्रामीण है और क्षेत्र में कोई शहरी बस्ती नहीं है. यहा यादव, राजपूत, मुसलमान, रविदास और भूमिहार जैसी प्रमुख जातियों का मतदान व्यवहार चुनावों को प्रभावित करता रहा है.

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