Pipra, Supaul Assembly constituency: राजनीतिक विविधता के लिए पहचाने जाने वाले इस क्षेत्र में शुरुआती वर्षों में वामपंथ और कांग्रेस की मजबूत पकड़ रही. पहले ही चुनाव में CPI के तुलसी राम ने जीत का परचम लहराया, जबकि 1980 और 1985 में कांग्रेस के नंदलाल चौधरी ने लगातार दो बार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि कांग्रेस का जनाधार तब कितना व्यापक था. इस दौर में पिपरा, समाजवादी और राष्ट्रवादी राजनीति के दो ध्रुवों के बीच झूलता रहा. लेकिन 90 का दशक इस क्षेत्र के लिए निर्णायक मोड़ साबित हुआ. जनता दल के शहदेव पासवान ने 1990 और 1995 में लगातार दो बार जीत दर्ज कर सियासी पलड़ा अपनी ओर झुका लिया. इसके बाद वर्ष 2000 में राष्ट्रीय जनता दल ने दस्तक दी और सुरेंद्र कुमार चंद्रा के रूप में सीट पर कब्जा जमाया। पिपरा की राजनीति इस वक्त अपनी सामाजिक संरचना के अनुरूप बदलाव की राह पर चल चुकी थी.
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