Obra Vidhan Sabha Chunav 2025: ओबरा की सियासी जमीन पर लगातार बदलती बिसात, पिछली दो बार से RJD का दबदबा बरकरार

Obra Vidhan Sabha Chunav 2025: ओबरा विधानसभा क्षेत्र बिहार की उन सीटों में शामिल है, जहां हर चुनाव में नया ट्रेंड देखने को मिलता है. कभी निर्दलीय जीत जाता है, तो कभी RJD अपने परचम को फिर से लहराने में सफल होती है. यहां की राजनीति यह साबित करती है कि लोकतंत्र में जनता ही असली किंगमेकर है.

By Prashant Tiwari | July 13, 2025 3:40 PM
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Obra Vidhan Sabha Chunav 2025: ओबरा बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक है, जो काराकट लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह क्षेत्र गैर-आरक्षित (सामान्य) श्रेणी में आता है और यहां की आबादी मुख्यतः ग्रामीण है. सामाजिक दृष्टि से यहां भूमिहार, यादव, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय की अच्छी खासी भागीदारी है. यही कारण है कि यहां जातिगत समीकरण चुनावी नतीजों को काफी हद तक प्रभावित करते हैं. 

2010: जब निर्दलीय ने सबको चौंकाया

2010 का चुनाव ओबरा विधानसभा के लिए बेहद खास रहा. इस बार जनता ने किसी पार्टी के उम्मीदवार को नहीं, बल्कि एक निर्दलीय उम्मीदवार को अपना विधायक चुना. सोमप्रकाश सिंह ने 36,816 वोट पाकर JD(U) के प्रमोद सिंह चंद्रवंशी को 802 वोटों से शिकस्त दी. यह जीत साफ तौर पर जनता की दलों से नाराजगी और बदलाव की चाह को दर्शाती है. 

2015: RJD की वापसी और मोदी लहर की अनदेखी

2015 के चुनाव में RJD के बीरेन्द्र कुमार सिन्हा ने RLSP के चंद्र भूषण वर्मा को 11,396 वोटों से हराया. यह वो वक्त था जब पूरे बिहार में NDA और खासकर बीजेपी के पक्ष में हवा चल रही थी, लेकिन ओबरा की जनता ने महागठबंधन को मौका दिया. इस चुनाव में RJD को 56,042 और RLSP को 44,646 वोट मिले थे. ये नतीजे साफ बताते हैं कि ओबरा में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दे, राष्ट्रीय लहर से ज्यादा प्रभावी रहे.

2020: फिर RJD का परचम, LJP को बड़ा झटका

2020 में भी RJD ने ओबरा में अपनी जीत दोहराई, लेकिन इस बार नया चेहरा था ऋषि कुमार. उन्होंने LJP के प्रकाश चंद्र को 22,668 वोटों से हराया. ऋषि कुमार को 63,662 और प्रकाश चंद्र को 40,994 वोट मिले. यह चुनाव बहुत हद तक त्रिकोणीय संघर्ष वाला था, जिसमें जेडीयू जैसे दल भी मैदान में थे, लेकिन असली लड़ाई RJD और LJP के बीच ही सिमट गई. 

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