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आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखिका पोलियाना डे लिमा ने कहा कि यह सुस्ती ग्राहक मांग कमजोर रहने की वजह से आयी है. आॅर्डर बुक की वृद्धि काफी सुस्त और धीमी गति से आगे बढ़ी है. कई मामलों में यह देखा गया है कि वृद्धि पर पानी की कमी और जीएसटी का असर रहा है. लिमा ने कहा कि अच्छी बात यह रही कि पीएमआई सर्वेक्षण में जून माह के दौरान भारत में विनिर्मित उत्पादों के लिए विदेशी बाजारों की मांग अच्छी रही. विदेशी बाजारों से नये आॅर्डर में तेजी आयी है. पिछले आठ माह के दौरान यह सबसे बेहतर रहा है.
बहरहाल, भविष्य के प्रदर्शन को लेकर कारोबारियों का विश्वास मिला जुला दिखायी दिया. कुछ फर्मों का मानना है कि नयी कर प्रणाली से उनका कारोबार बढ़ेगा, जबकि अन्य का मानना है कि जीएसटी का उनकी आॅर्डरबुक पर बुरा असर पड़ेगा. सर्वेक्षण के अनुसार, अप्रैल से जून की अवधि में विनिर्माण क्षेत्र का औसत पीएमआई 51.7 अंक रहा. पिछली तिमाही के मुकाबले यह ऊंचा रहा.
लिमा ने कहा कि नोटबंदी का असर अब जबकि काफी कुछ निकल चुका है और जीएसटी से ऐसा नहीं लगता है कि उपभोक्ता मांग पर कोई व्यापक प्रतिकूल असर होगा. आईएचएस माकर्टि के मुताबिक, 2017- 18 की जीडीपी वृद्धि 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है. सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि वेतन पाने वालों की संख्या और खरीदारी गतिविधियों में मामूली वृद्धि ही हुई.
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