S&P ने नहीं किया भारत की रेटिंग में कोई बदलाव, कबाड़ की स्थिति से एक पायदान ऊपर है भारत

नयी दिल्ली :जानी – मानी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने आज भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया. एजेंसी ने पिछले साल की रेटिंग को कायम रखा है. एसएंडपी रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर के साथ बीबीबी- पर कायम रखा है. एस एंड पी के मुताबिक भारत की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2017 3:16 PM
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नयी दिल्ली :जानी – मानी रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने आज भारतीय अर्थव्यवस्था पर जारी रेटिंग में कोई बदलाव नहीं किया. एजेंसी ने पिछले साल की रेटिंग को कायम रखा है. एसएंडपी रेटिंग्स ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर के साथ बीबीबी- पर कायम रखा है. एस एंड पी के मुताबिक भारत की जीडीपी वृद्धि मजबूत है, बाह्य एवं मौद्रिक साख में सुधार है, लेकिन इसके साथ ही उसकी प्रति व्यक्ति आय कम बनी हुई है और कर्ज का बोझ ऊंचा है.

बीबीबी रेटिंग कबाड़ की स्थिति से एक स्थान ऊपर होती है. एसएंडपी ने कहा, रेटिंग को ऊपर की ओर ले जाने का दबाव तब बनता है जबकि सरकार के सुधारों से उसकी वित्तीय स्थिति उल्लेखनीय रुप से सुधर जाए और सरकार के कर्ज का शुद्ध बोझ कम हो जाए. इसके अलावा यदि भारत का विदेशी खाता भी उल्लेखनीय रुप से सुधरता है तो रेटिंग में सुधार की स्थिति बनती है. वहीं जीडीपी वृद्धि दर निराशाजनक रहने, सरकार के घाटे में बढ़ोतरी या सुधार एजेंडा को आगे बढाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी से रेटिंग को नीचे की ओर लाने का दबाव बनता है.

एस एंड पी ने कहा कि भारत की मजबूत जीडीपी वृद्धि और बेहतर मौद्रिक साख इसकी मजबूती है. इसके साथ ही भारत के मजबूत लोकतांत्रिक संस्थान और उसका स्वतंत्र मीडिया नीतियों में स्थिरता और सुलह-सफाई को बढ़ावा देता है. इससे उसकी रेटिंग को भी समर्थन मिला है. लेकिन भारत की कम प्रति व्यक्ति आय और अपेक्षाकृत ऊंचा सरकारी कर्ज उसकी मजबूती के समक्ष उसे संवेदनशील बना देता है.

गौरतलब है कि इससे पहले एजेंसी मूडीज ने भारत की सोवरिन रेटिंग ‘बीएए3’ से सुधारकर ‘बीएए2’ कर दी है. मूडीज ने भारत की अर्थव्यवस्था को सकरात्मक से स्थिर बताया था. मूडीज के बाद भारत की निगाहें एस एंड पी की रेटिंग पर टिकी हुई थी. मोदी सरकार के लिए इसे एक झटका के रूप में देखा जा रहा है.

एस एंड पी ने रिपोर्ट में लिखा है कि भारत में 70 प्रतिशत सरकारी बैंक हैं. वहीं मात्र 30 प्रतिशत निजी बैंक है. निजी बैंकों का मुनाफा और कैपिटल जेनरेशन अच्छी स्थिति में है. सरकारी बैंकों की हालत निजी बैंकों की तुलना में बेहद खराब है. सरकारी बैंकों की हालत में सुधार के लिए 30 बिलीयन डॉलर निवेश की जरूरत है. एस एंड पी ने रिजर्व बैंक के कामकाज की सराहना की और कहा कि मुद्रास्फिती के दर में काफी संतुलन देखा गया है.

प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने रेटिंग में बदलाव नहीं करने को कुछ अनुचित करार दिया.सान्याल ने कहा, निम्न प्रति व्यक्ति आय हमारी कर्ज चुकाने की क्षमता या हमारी कर्ज चुकाने की इच्छा को परिलक्षित नहीं करता है. आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि एसएंडपी ने सतर्कता बरती है. उन्होंने उम्मीद जताई कि एजेंसी अगले साल भारत की रेटिंग में सुधार करेगी. उन्होंने कहा कि हम निराश नहीं हैं लेकिन हमें उम्मीद थी कि एसएंडपी इस बात को संज्ञान में लेगी कि सरकार ने क्या किया है. रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि ऐतिहासिक रुप से देखा जाए तो एसएंडपी द्वारा अधिक संकीर्ण रख अपनाया जाता है और वह मूडीज के पीछे-पीछे चलती है. जनवरी, 2007 में एसएंडपी ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को बीबी प्लस से स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी- किया था.

मूडीज ने जब 17 नवंबर को भारत की सॉवरेन रेटिंग को सुधारकर बीएए2 किया था तो सरकार ने इस मौके को भुनाते हुए कहा कि यह उसके द्वारा किए जा रहे सुधारों को देरी से दी गई मान्यता है. यह रेटिंग उन्नयन जनवरी, 2004 के बाद पहली बार किया गया है. इससे भारत अब फिलिपींस और इटली जैसे देशों के समकक्ष आ गया है. अगस्त, 2006 में फिच रेटिंग्स ने भारत की रेटिंग को बीबी प्लस से स्थिर परिदृश्य के साथ निवेश ग्रेड वाली बीबीबी – किया था. मूडीज ने 2015 में भारत के रेटिंग परिदृश्य को स्थिर से सकारात्मक किया था. मूडीज द्वारा 17 नवंबर को भारत की रेटिंग में सुधार से पहले विश्व बैंक की कारोबार सुगमता रैंकिंग में भारत ने 30 पायदान की छलांग लगाई थी और वह 100वें स्थान पर पहुंच गया. एसएंडपी ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार देश की वृद्धि के रास्ते की विभिन्न अडचनों को दूर कर कई सुधारों के रास्ते पर आगे बढने में सफल रही है

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