नयी दिल्ली : नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वजह से पैदा हुई अड़चनें अब धीरे-धीरे दूर हो रही हैं. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि नए साल 2018 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर रफ्तार पकड़ सकती है. हालांकि, कच्चे तेल के दाम और बढ़ती मुद्रास्फीति इस मोर्चे पर झटका भी दे सकते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि 2017 को भूल जाना ही बेहतर है क्योंकि इस साल नोटबंदी और जीएसटी की वजह से अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित रही. एक अनुमान के हिसाब से जीडीपी में दो प्रतिशत का नुकसान हुआ है. यह 2016-17 के 152.51 लाख करोड रुपये के जीडीपी के हिसाब से 3.05 लाख करोड रुपये बैठता है. हालांकि, यह भी माना जा रहा है कि बुरा समय अब बीत चुका है और सुधार के संकेत मिलने लगे हैं.
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