नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने मंगलवारको उच्चतम न्यायालय में इस तरह का संकेत दिया कि सरकार की अनेक सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य रूप से लिंक करने की समयसीमा 31 मार्च के आगे बढ़ायी जा सकती है.
केंद्र ने कहा कि आधार मामले में लंबित सुनवाई को पूरा करने के लिए थोड़ा समय और चाहिए होगा, इसलिए सरकार समयसीमा को 31 मार्च से आगे बढ़ा सकती है.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए के सीकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल की दलील से सहमति जतायी.
वेणुगोपाल ने कहा, हमने पहले भी समयसीमा बढ़ायी है और फिर से बढ़ायेंगे लेकिन हम महीने के आखिर में यह कर सकते हैं ताकि मामले में याचिकाकर्ता अपनी दलीलें पूरी कर सकें.
पीठ ने कहा, अटार्नी जनरल ने बहुत सही बिंदु उठाया है और अदालत मामले में याचिकाकर्ताओं के वकीलों द्वारा दलीलें दोहराने नहीं देगी. उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 15 दिसंबर को आधार को अनेक योजनाओं से अनिवार्य रूप से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ा दी थी.
इससे पहले आधार को चुनौती देने के संबंध में दलीलें पेश कर रहे वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि 31 मार्च की समयसीमा बढ़ायी जा सकती है क्योंकि इस बात की संभावना बिल्कुल नहीं लगती कि आधार अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले मामले में सुनवाई पूरी हो जायेगी.
पीठ ने इस मामले में सहायता के लिए अटार्नी जनरल को बुलाया. आज की सुनवाई के अंत में वेणुगोपाल पीठ के समक्ष हाजिर हुए और समयसीमा के विस्तार की संभावना के बारे में बयान दिया. सुनवाई बुधवार को भी चलेगी.
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