नयी दिल्ली : देश में पेट्रोल आैर डीजल के दाम में वृद्धि तथा फलों सब्जियों के महंगा होने से थोक बाजारों ने खुदरा बाजारों पर जमकर असर डाला. थोक बाजारों में मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में बढ़कर 3.18 फीसदी हो गयी, जो यह इसका चार महीने का उच्चतम स्तर है. वहीं, रिटेल मार्केट में अनाज, मांस-मछली आैर फलों की कीमतों में तेजी के बीच खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में बढ़कर 4.58 फीसदी हो गयी. इस तरह से खुदरा मुद्रास्फीति में कई महीने की गिरावट पर विराम लग गया. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 4.28 फीसदी रही थी.
इसे भी पढ़ेंः Petrol-diesel की कीमतों ने बढ़ायी महंगार्इ की रफ्तार, फलों आैर सब्जियों ने बिगाड़ा थोक बाजार का जायका
गौरतलब है कि भारतीय रिजर्व बैंक नीतिगत ब्याज दर पर फैसला करते समय इसी मुद्रास्फीति पर विचार करता है. यह मुद्रास्फीति पिछले साल अप्रैल में 2.99 फीसदी थी. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में इस साल जनवरी से ही गिरावट आ रही थी. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, प्रोटीन की अच्छी मात्रा वाले उत्पादों यथा मीट व मछली के लिए कीमतों में वृद्धि की दर अप्रैल में 3.59 फीसदी रही, जो कि पूर्व माह में 3.17 फीसदी रही थी.
इसी तरह, फलों के बाजार में मुद्रास्फीति आलोच्य माह में 9.65 फीसदी रही, जो मार्च के महीने में 5.78 फीसदी रही थी. हालांकि, सब्जी वर्ग की मुद्रास्फीति अप्रैल में 7.29 फीसदी पर कम रही, जो पहले 11.7 फीसदी थी. कुल मिलाकर खाद्य उत्पाद वर्ग की मुद्रास्फीति मासिक आधार पर 2.8 फीसदी पर स्थिर रही. सीएसओ के आंकड़ों के अनुसार, ईंधन व बिजली क्षेत्र के लिए मुद्रास्फीति मासिक आधार पर घटकर 5.24 फीसदी रही.
गौरतलब है कि पेट्रोल व डीजल के दाम में वृद्धि तथा फलों सब्जियों के महंगा होने से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में बढ़कर 3.18 फीसदी हो गयी. यह इसका चार महीने का उच्चतम स्तर है. थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति मार्च में 2.47 फीसदी तथा पिछले साल अप्रैल में 3.85 फीसदी रही थी. थोक मुद्रास्फीति में दिसंबर 2017 से ही गिरावट का रुख था, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में तेजी तथा खाद्य कीमतों में मौसमी बढ़ोतरी के चलते अप्रैल में इसमें तेजी गयी.इससे पहले थोक मुद्रास्फीति का इससे ऊंचा स्तर दिसंबर में था, जब यह 3.58 फीसदी थी.
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य जिंसों की मुद्रास्फीति अप्रैल, 2018 में 0.87 फीसदी रही. इससे पिछले माह खाद्य जिंसों के थोक दाम 0.29 फीसदी घटे थे. अप्रैल महीने में सब्जियों के दाम 0.89 फीसदी घटे रही, जबकि इससे पहले महीने में यह 2.70 फीसदी थी. फलों के दाम अप्रैल में 19.47 फीसदी ऊुंचे रहे, जबकि इससे पिछले महीने में इनके दाम सालाना आधार पर 9.26 फीसदी ऊंचे थे.
आंकड़ों के अनुसार, ‘ईंधन व बिजली’ वर्ग के लिए मुद्रास्फीति अप्रैल महीने में 7.85 फीसदी रही, जो मार्च में 4.70 फीसदी थी. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के बीच घरेलू ईंधन कीमतों में वृद्धि का असर इस दौरान रहा. कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी के असर के चलते घरेलू बाजार में पेट्रोल के दाम बढ़कर 74.80 रुपये प्रति लीटर व डीजल के दाम 66.14 रुपये प्रति लीटर के रिकाॅर्ड स्तर पर आ गये हैं.
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा है कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में तेजी का यह रुख इस तिमाही में आगे जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ईंधनों पर उत्पाद शुल्क में किसी कटौती से पहले जीएसटी के राजस्व के ब और अधिक आंकड़ों का इंतजार कर सकती है. फरवरी महीने के लिए थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति को संशोधित कर 2.74 फीसदी किया गया है, जबकि इसके लिए अस्थायी अनुमान 2.48 फीसदी का था. मौजूदा वित्त वर्ष के लिए अपनी पहली मौद्रिक नीति समीक्षा में भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है.
वहीं, भारतीय उद्योग जगत का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतें में उछाल भारत की तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का एक मुख्य विषय है. इस बीच, अप्रैल में भी थोक मुद्रास्फीति बढ़कर 3.18 फीसदी पहुंच गयी. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति इस साल मार्च में 2.47 फीसदी और पिछले साल अप्रैल में यह 3.85 फीसदी थी. एसोचैम ने कहा कि अप्रैल के मुद्रास्फीति के आंकड़े दिखाते हैं कि सालाना आधार पर पेट्रोल की कीमतें 10 फीसदी और हाईस्पीड डीजल का भाव 13 फीसदी बढ़ा है.
एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा कि चिंताजनक बात यह है कि पिछले साल भी अप्रैल में मुद्रास्फीति का स्तर ऊंचा था. कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और उसके व्यापक प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का महत्वपूर्ण विषय होंगे. वहीं, पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अनिल खेतान ने कहा कि मुद्रास्फीति का बढ़ना चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले महीनों में महंगाई और नहीं बढ़नी चाहिए.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.
RBI Repo Rate: रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं, RBI ने 5.5% पर रखा बरकरार, जानें क्या होगा प्रभाव
Satyapal Malik Net Worth: अपने पीछे कितनी संपत्ति छोड़ गए सत्यपाल मलिक? प्रॉपर्टी और गोल्ड की पूरी जानकारी
अमेरिकी टैरिफ की धमकी से शेयर बाजार में गिरावट, सेंसेक्स और निफ्टी लुढ़के
राजस्थान सरकार स्टार्टअप्स को देगी 5 करोड़ का इनाम, 100 करोड़ का इक्विटी फंड