नयी दिल्ली : भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारत की विधि प्रक्रिया से बचने से रोकने, उनकी सम्पत्ति जब्त करने और उन्हें दंडित करने के प्रावधान वाले भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक-2018 को गुरुवार को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. यह विधेयक भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश-2018 के स्थान पर लाया गया है. इस विधेयक का कानून बन जाने के बाद आर्थिक अपराध करने वाले विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे भगोड़ों की देश के भीरत और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त करना आसान हो जायेगा.
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विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह एक सुलझा हुआ विधेयक है और इसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर लाया गया है. उन्होंने कहा कि बजट सत्र को विपक्षी दलों ने चलने नहीं दिया, जिस वजह से उस समय यह विधेयक नहीं लाया जा सका. गोयल ने कहा कि अध्यादेश लाने का मकसद यह संदेश देना था कि सरकार सख्त है और कालेधन पर प्रहार हो रहा है. उन्होंने कहा कि इस कानून में यह प्रावधान किया गया है कि आर्थिक अपराध करने वाले भगोड़ों की देश के भीतर और बाहर सभी बेनामी संपत्तियां जब्त की जायेंगी.
निर्दोष को भागने की जरूरत ही क्या?
गोयल ने कुछ सदस्यों की इस चिंता को खारिज किया कि कानून के प्रावधानों की वजह से निर्दोष लोग भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह कानून भगोड़ों के लिए है और अगर कोई व्यक्ति निर्दोष है, तो उसे भागने की क्या जरूरत है. उसे तो खुद को कानून के हवाले करना चाहिए. सदन ने आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन के 21 अप्रैल, 2018 को प्रख्यापित भगोड़ा आर्थिक अपराधी अध्यादेश-2018 का निरनुमोदन करने के सांविधिक संकल्प को खारिज कर दिया.
माल्या और मोदी जैसे कर्जखोर भगोड़ों ने सरकार को किया मजबूर
यह विधेयक भगोड़े आर्थिक अपराधियों को भारतीय न्यायालयों की अधिकारिता से बाहर रहते हुए भारत में विधि की प्रक्रिया से बचने से रोकने के लिए, भारत में विधि के शासन की पवित्रता की रक्षा के उपाय करने का प्रवधान करता है. उल्लेखनीय है कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी जैसे कारोबारियों के बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का ऋण लेने के बाद देश से फरार होने की पृष्ठभूमि में यह विधेयक लाया गया है.
अदालतों का कीमती समय नहीं होगा जाया
विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि आर्थिक अपराधी दंडात्मक कार्यवाही प्रारंभ होने की संभावना में या कभी-कभी ऐसी कार्यवाहियों के लंबित रहने के दौरान भारतीय न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से पलायन जाते हैं. भारतीय न्यायालयों से ऐसे अपराधियों की अनुपस्थिति के कारण अनेक हानिकारक परिणाम हुए हैं. इससे दंडात्मक मामलों में जांच में बाधा उत्पन्न होती है और अदालतों का कीमती समय व्यर्थ होता है.
भारत की न्यायिक प्रक्रिया से बचकर रहना नहीं होगा आसान
आर्थिक अपराधों के ऐसे अधिकांश मामलों में बैंक ऋणों से संबंधित मामलों के कारण भारत में बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय स्थिति और खराब होती है. इसमें कहा गया है कि वर्तमान सिविल एवं न्यायिक उपबंध इस समस्या की गंभीरता से निपटने के लिये सम्पूर्ण रूप से पर्याप्त नहीं है. इस समस्या का समाधान करने के लिए और भारतीय न्यायालयों की अधिकारिता से बाहर बने रहने के माध्यम से भारतीय विधिक प्रक्रिया से बचने से आर्थिक अपराधियों को हतोत्साहित करने के उपाय के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक 2018 लाया गया है.
भगोड़ों का नहीं होगा दावा या बचाव करने का अधिकार
इसमें कहा गया है कि भगोड़ा आर्थिक अपराधी ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अनुसूचित अपराध किया है और ऐसे अपराध किये हैं, जिनमें 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक की रकम सम्मिलित है और वे भारत से फरार हैं या भारत में दंडात्मक अभियोजन से बचने या उसका सामना करने के लिए भारत आने से इंकार करते हैं. इसमें भगोड़ा आर्थिक अपराधी की संपत्ति की कुर्की का उपबंध किया गया है. इसमें कहा गया है कि किसी भी भगोड़े आर्थिक अपराधी को कोई सिविल दावा करने या बचाव करने की हकदारी नहीं होगी. ऐसे मामलों में विशेष न्यायालयों द्वारा जारी आदेशों के विरूद्ध उच्च न्यायालय में अपील करने की बात कही गयी है.
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