मुंबई: अमेरिकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिजकर ने कहा है कि विश्व व्यापार सगठन (डब्ल्यूटीओ) के व्यापार सुगमता समझौता (टीएफए) पर बातचीत में भारत के रुख से अमेरिका बहुत निराश है. बावजूद इसके पेनी को उम्मीद है कि प्रस्तावित समझौते को लागू करने की कल की समय सीमा खत्म होने से पहले इस पर कोई सहमति बन जाएगी.
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री ने कहा, ‘हम बहुत निराश हैं कि भारत दिसंबर की विश्व व्यापार संगठन की बैठक में हुए समझौते से एक कदम पीछे हट गया है.’ भारत का कहना है कि इस समझौते के साथ साथ बाली पैकेज में शामिल खाद्य सुरक्षा संबंधी मुद्दों का स्थायी समाधान भी निकाला जाए. भारत ने कहा है कि टीएफए के साथ साथ खाद्य सुरक्षा तथा गरीबों के हित से जुडे अन्य मुद्दों का समाधान निकालना बेहद जरुरी है.
इंडोनेशिया के मशहूर पर्यटन स्थल बाली में दिसंबर में हुई डब्ल्यूटीओ की मंत्रिस्तरीय बैठक में तय टीएफए को प्रभावी बनाने के लिए 31 जुलाई 2014 तक का समय रखा गया था. पेनी ने कहा ‘मैं आशावादी हूं और मुझे उम्मीद है कि अगले दो दिन में समझौता होने की कुछ संभावना है. मुझे उम्मीद है कि आखिरी दिनों में भारत इस मामले में सहमति का तरीका ढूंढ लेगा.’पेनी ने आगाह करते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत के समझौते से पीछे हटने के प्रभाव निश्चित रुप से पडेगे.
मेरे हिसाब से दोहा दौर की वार्ताओं पर इसका गंभीर असर होगा.’ उन्होंने कहा कि पिछले दिनों अमेरिका और जी-20 समूह के देशों ने भारत को खाद्य सुरक्षा समेत विभिन्न मुद्दों पर उसकी चिंताओं के प्रति आश्वस्त करने के लिए कडी मेहनत की है.भारत के विरोध को वेनीजुएला, क्यूबा और बोलीविया जैसे देशों का समर्थन प्राप्त है जबकि थाइलैंड, पाकिस्तान और चीन जैसे देश व्यापार सुगमता समझौते का समर्थन कर रहे हैं.
भारत ने जिनीवा में पिछले सप्ताह दो दिवसीय महापरिषद की बैठक में कहा था ‘सिर्फ नियमों में गडबडी की वेदी पर करोडों लोगों की खाद्य सुरक्षा की बलि चढाना स्वीकार नहीं हैं.’ विश्व व्यापार संगठन में भारतीय राजदूत अंजलि प्रसाद ने कहा था ‘मेरे शिष्टमंडल का मानना है कि खाद्य सुरक्षा के लिए सार्वजनिक भंडार का स्थायी समाधान मिलने तक व्यापार सुविधा समझौते के प्रावधानों को अपनाने की प्रक्रिया टाली जाए.’ कुछ आकलनों के मुताबिक व्यापार सुविधा समझौता पारित होने से वैश्विक व्यापार को 1,000 अरब डालर (करीब 60 लाख करोड रुपये) का प्रोत्साहन मिलेगा.
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