उन्होंने कहा कि सालाना आम बजट में बडे सुधारों की घोषणा की उम्मीद करना उचित नहीं है क्योंकि नयी सरकार धीरे-धीरे लेकिन निरंतर कई प्रमुख नीतिगत और राजकोषीय सुधारों के साथ आगे बढ रही है जिससे आने वाले दिनों में भारत की तस्वीर बदलेगी. सुब्रमणियन ने कहा ‘बजट में सुधारों की गति बरकरार रखी गई है और इसमें तेजी लाई जा रही है.’ उन्होंने कहा ‘भारत जैसे देश – जिसे मैं हताशा में जोशीला लोकतंत्र कहता हूं – में बडे सुधार नियम के बजाय अपवाद हैं.
भारत जैसे देशों में शक्ति केंद्र बिखरा हुआ है. इसमें विरोध करने वाले कई केंद्र हैं, मसलन केंद्र सरकार, राज्य, विभिन्न संस्थान.’ सुब्रमणियन ने प्रतिष्ठित संस्थान पीटर्सन, इंस्टीच्यूट फॉर इंटरनैशनल इकनोमिक्स को संबोधित करते हुए कहा ‘आपको पता है कि कुछ करने, उसे पलटने, रोकने की ताकत काफी व्यापक है कि इसलिये यह थोडा अनुचित लगता है.’ उन्होंने कहा ‘भारत न संकट में था न है. मेरा मानना है कि न यह उन देशों में शामिल हैं जहां आप सिर्फ चाभी कसें और बडे सुधार की उम्मीद करें.
इसलिए हमारी दलील है कि भारत में इस मानक को लागू करना बिल्कुल अनुचित है.’ सुब्रमणियन भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार बनने से पहले इसी संस्थान (वैश्विक थिंक टैंक) में काम करते थे. वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश आम बजट पर अपनी प्रस्तुति में उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक निवेश को बढावा देने समेत प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है. उन्होंने कहा ‘हम सार्वजनिक एवं निजी निवेश के जरिए वृद्धि को आगे बढा रहे हैं. यह राजकोषीय घाटे को दांव पर लगाकर नहीं किया जा रहा है. इसके साथ राजकोषीय पुनर्गठन की गुणवत्ता में सुधार के साथ जुडा है. इसलिए यह बजट का बडा हिस्सा है.’
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