जानें उद्योग जगत क्‍या चाहता है रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा से?

।। अमलेश नंदन ।।... भारतीय रिजर्व बैंक आज अपने इस वित्त वर्ष के ऋणों एवं मौद्रिक नीति की घोषणा करेगी. इसमें ब्‍याज दरों की कटौती को कोई उम्‍मीद तो नहीं है. लेकिन बैंक अभी भी दरों में और अधिक कटौती चाहते हैं. बेमौसम बरसात की वजह से पिछले दिनों ही फल और सब्जियों की कीमतों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 7, 2015 10:07 AM
an image

।। अमलेश नंदन ।।

भारतीय रिजर्व बैंक आज अपने इस वित्त वर्ष के ऋणों एवं मौद्रिक नीति की घोषणा करेगी. इसमें ब्‍याज दरों की कटौती को कोई उम्‍मीद तो नहीं है. लेकिन बैंक अभी भी दरों में और अधिक कटौती चाहते हैं. बेमौसम बरसात की वजह से पिछले दिनों ही फल और सब्जियों की कीमतों में बढोतरी की बातें सामने आयी है. बताया जा रहा है कि बरसात की वजह से मौसमी फलों और सब्जियों को काफी नुकसान हुआ है.

हालांकि सरकार की ओर से अभी भी कहा जा रहा है कि देश में खाद्यान की कोई कमी नहीं है. और इतना नुकसान भी नही हुआ है कि कीमतों में बेतहासा वृद्धि हो जाए. अब बैंकों की बात करें तो किसी भी बैं‍क ने पिछली दो रिजर्व बैंक के रेट कट का फायदा अपने ग्राहकों को नहीं दिया है. बैंकों ने इसपर कोई तर्क भी प्रस्‍तुत नहीं किया है लेकिन वे अपने किसी भी ऋण योजना में ब्‍याज दरों में कटौती नहीं कर रहे हैं.

देखा जाए तो रिजर्व बैंक ने एक ही वित्त वर्ष में दो बार रेपो रेट में कटौती की है. कटौती के पहले रेपो रेट 8फीसदी था, जो दो बार की कटौती के बाद 7.5 फीसदी हो गया है. भारतीय स्टेट बैंक की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि वह चाहती हैं कि रिजर्व बैंक नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती करे, जिससे कोष की लागत घटे और बैंक इसका लाभ उपभोक्ताओं को दे सकें.

इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन एवं इंडियन बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक टी एम भसीन ने कहा, ‘हम सीआरआर दर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं जिससे बैंक ऋण पर ब्याज दर घटा सकें.’ एचडीएफसी बैंक की प्रमुख अर्थशास्त्री ज्योतिंदर कौर ने कहा कि हाल के हफ्तों में बेमौसम बारिश से रबी की फसल मसलन गेहूं, तिलहन व दलहन पर प्रतिकूल असर पडा है. एसोचैम के अध्ययन के अनुसार इससे फसल उपज पर 25 से 30 प्रतिशत की कमी आ सकती है.

समझा जाता है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन सालाना मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती जरुरत व मुद्रास्फीति संभावनाओं पर अंकुश के बीच संतुलन बैठाने का प्रयास करेंगे. इससे पहले रिजर्व बैंक ने 15 जनवरी व 4 मार्च को मुख्य नीतिगत दरों यानी रेपा रेट में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती की थी. दोनों बार कटौती मौद्रिक नीति की नियमित समीक्षा से अलग की गई थी.

उद्योग जगत चाहता है ब्याज दरों में कटौती

भारतीय उद्योग जगत चाहता है कि आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के लिए रिजर्व बैंक ब्याज दरों में और कटौती करे. केंद्रीय बैंक आज अपनी सालाना मौद्रिक समीक्षा पेश करने जा रहा है. हालांकि, उद्योग जगत की इस मांग के बावजूद रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश नहीं है.

विशेष रूप से हालिया बेमौसम बरसात की वजह से आगामी महीनों में खाद्य मुद्रास्फीति पर प्रतिकूल असर पडने की आशंका की वजह से केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना नहीं दिखती. बजाज समूह के चेयरमैन राहुल बजाज ने कहा, ‘उद्योग हमेशा ब्याज दरों में कटौती चाहता है. निचली ब्याज दरों से उद्योग की कोष की लागत घटेगी.’

इसी तरह की राय जताते हुए गोदरेज समूह के चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बेहद जरुरत है. इससे आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलेगा.’ सार्वजनिक क्षेत्र के यूनियन बैंक के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अरुण तिवारी ने कहा कि इस बात की संभावना कम है कि रिजर्व बैंक मौद्रिक रुख को और नरम करेगा. मौजूदा मूल्य स्थिति और केंद्रीय बैंक द्वारा हाल के समय में दो बार ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर इसकी संभावना नहीं है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Business

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version