हालांकि नेस्ले इंडिया ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा कि कंपनी के किसी भी उत्पाद के निर्माण में कड़े परीक्षण किये जाते हैं. नेस्ले इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘कंपनी यथाशीघ्र मामले के समाधान के लिये अधिकारियों के साथ मिलकर काम करेगी.’ यादव ने कहा, ‘मैगी के बाद मैक्रोनी पास्ता के नमूने को मउ से लिया गया था और लखनऊ स्थित राष्ट्रीय खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला भेजा गया. जांच में सीसे की मात्रा स्वीकार्य सीमा से अधिक पायी गयी.’ अधिकारी के अनुसार, ‘दो सितंबर को प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नमूने परीक्षण में विफल रहे.’
अरविंद यादव ने बताया कि इस बाबत नेस्ले इंडिया लिमिटेड को मोदीनगर के पते पर एक पत्र भेजा गया था जो ‘बिना पावती’ के वापस आ गया. यादव ने इस पत्र को संवाददाताओं को भी दिखाया. उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने नेस्ले इण्डिया को पत्र भेजकर जांच रिपोर्ट के खिलाफ अपील के लिये एक महीने का समय दिया था लेकिन कम्पनी ने पत्र प्राप्त नहीं किया और यह वापस लौट आया. अधिकारी ने कहा, ‘इस रिपोर्ट के आधार पर यह खाद्य उत्पाद अब ‘असुरक्षित खाद्य उत्पाद’ की श्रेणी में आ गया है.
उन्होंने कहा इस सम्बन्ध में खाद्य सुरक्षा आयुक्त लखनऊ को मुकदमे की सिफारिश के लिये रिपोर्ट भेजी गयी है. सिफारिश मिलने पर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी की अदालत में मुकदमा दायर किया जाएगा. एक सवाल पर अधिकारी ने कहा कि इससे नेस्ले पास्ता की बिक्री पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है. गौरतलब है कि इस साल मई-जून में नेस्ले के मशहूर उत्पाद ‘मैगी’ के मसाले में अनुमति योग्य मात्रा से ज्यादा सीसा तथा स्वास्थ्य के लिये अन्य हानिकारक तत्व पाये जाने पर उसकी बिक्री पर पाबंदी लगा दी गयी थी। इससे कम्पनी को हजारों करोड रुपये का नुकसान हुआ था.
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