कॉल ड्रॉप: तो क्या टेक्नॉलजी की मदद से मूर्ख बना रही है कंपनियां

नयी दिल्ली : अपनी सेवाओं की खराब गुणवत्ता पर ‘पर्दा डालने’ के लिए दूरसंचार कंपनियों ने अब एक नई प्रौद्योगिकी का सहारा लिया है. इस प्रौद्योगिकी के तहत किसी कॉल के दौरान कनेक्शन टूटने या दूसरी तरफ से आवाज सुनाई नहीं देने की स्थिति में भी कॉल कनेक्टेड दिखती है. इससे पहले अगर दूरसंचार उपयोक्ता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2016 1:19 PM
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नयी दिल्ली : अपनी सेवाओं की खराब गुणवत्ता पर ‘पर्दा डालने’ के लिए दूरसंचार कंपनियों ने अब एक नई प्रौद्योगिकी का सहारा लिया है. इस प्रौद्योगिकी के तहत किसी कॉल के दौरान कनेक्शन टूटने या दूसरी तरफ से आवाज सुनाई नहीं देने की स्थिति में भी कॉल कनेक्टेड दिखती है. इससे पहले अगर दूरसंचार उपयोक्ता खराब नेटवर्क वाले इलाके में जाता था तो कॉल अपने आप ही कट जाती थी और मौजूदा नियामकीय ढांचे के तहत यह ‘ड्राप कॉल’ के रुप में दर्ज होता. नई प्रौद्योगकी में यह सुनिश्चित होता है कि उपभोक्ता के लिए कॉल कृत्रिम रुप से कनेक्टेड ही दिखे जब तक कि वह खुद इसे काटने का फैसला नहीं कर ले. इस तरह से उपभोक्ता से कॉल के पूरे समय का पैसा लिया जाएगा भले ही वह इस दौरान बात नहीं कर पाया हो.

दूरसंचार नेटवर्क की जांच से जुडे एक आधिकारिक सूत्र ने कहा, ‘‘दूरसंचार परिचालक रेडियो-लिंक प्रौद्योगिकी :आरएलटी: का उपयोग कर रहे हैं जिससे उन्हें कॉल ड्राप को ढांपने में मदद मिलती है जबकि उपभोक्ता बात कर रहा होता है और उस पर शुल्क लगता रहा है. यह एक तरह से ऐसी बात होती है कि ग्राहक कृत्रिम नेटवर्क से जुडे रहते हैं.” सूत्रों ने कहा, ‘‘ऐसे मामलों में ग्राहक अपने आप फोन काट देता है जिसे कॉल ड्राप नहीं माना जाता है. यदि ऐसे मामलों में कॉल कटती जाती है तो कंपनी ग्राहक से शुल्क वसूली जारी रखती है. आरएलटी कंपनियों को अपने सेवा मानकों में सुधार और आय बढाने में मदद कर रही है. इसके साथ ही इससे दूरसंचार कंपनियों को अपनी ड्रॉप कॉल को ढंकने में भी मदद मिलती है.”

उद्योग के संगठन सीओएआई तथा ऑस्पी से इस मामले में भेजे गए सवालों पर कोई जवाब नहीं मिला. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने कॉल ड्रॉप समेत खराब मोबाइल सेवा के लिए दो लाख रपए तक का दंड तय किया है. कॉल ड्राप पर जुर्माना दूरसंचार सर्किल में कुल ट्रैफिक के दो प्रतिशत से अधिक तिमाही औसत के आधार पर लगाया जाता है. हाल में उच्चतम न्यायालय ने ट्राई के उन नियमों को खारिज कर दिया जिसके तहत दूरसंचार परिचालकों को प्रति कॉल ड्रॉप एक रपया और एक ग्राहक को प्रतिदिन अधिकतम तीन रपए के भुगतान का निर्देश दिया था. उल्लेखनीय है कि कॉल ड्राप का मुद्दा हाल ही में काफी विवाद में रहा है और इसको लेकर दूरसंचार कंपनियों का काफी आलोचना का सामना करना पड रहा है. वहीं कंपनियों का कहना है कि इसके लिए मोबाइल टावर स्थापित करने में मंजूरी का अभाव सहित अनेक कारक जिम्मेदार हैं.

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