नोटबंदी निरंकुश निर्णय, भरोसा कमजोर पड़ेगा : अमर्त्य सेन

नयी दिल्ली : नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को ‘तानाशाही वाली कार्रवाई करार दिया है जो कि भरोसे पर टिकी अर्थव्यवस्था की जड़े खोखली करेगी.’ सेन ने एनडीटीवी से कहा, ‘यह (नोटबंदी) नोटों की अनदेखी है, बैंक खातों की अनदेखी है यह भरोसे वाली सारी अर्थव्यवस्था की अनदेखी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 1, 2016 9:41 AM
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नयी दिल्ली : नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने मोदी सरकार के नोटबंदी के कदम को ‘तानाशाही वाली कार्रवाई करार दिया है जो कि भरोसे पर टिकी अर्थव्यवस्था की जड़े खोखली करेगी.’ सेन ने एनडीटीवी से कहा, ‘यह (नोटबंदी) नोटों की अनदेखी है, बैंक खातों की अनदेखी है यह भरोसे वाली सारी अर्थव्यवस्था की अनदेखी है. इस लिहाज से यह तानाशाही भरा फैसला है.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नोटबंदी को लेकर उनकी यह तात्कालिक राय आर्थिक पहलू के लिहाज से है.

‘भारत रत्न’ सेन ने कहा, ‘भरोसे की अर्थव्यवस्था के लिए यह आपदा के समान है. बीते 20 साल में अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से वृद्धि कर रही थी. लेकिन यह पूरी तरह से एक दूसरे की जुबान के भरोसे पर आधारित थी. इस तानाशाहीपूर्ण कार्रवाई के जरिए और यह कहते हुए कि हमने वादा तो किया था लेकिन उसे पूरा नहीं करेंगे. आपने इसकी जड़ों पर चोट की है.’

उन्होंने कहा कि पूंजीवाद को अनेक सफलताएं मिलीं जो कि व्यापार में भरोसे के जरिए आईं. उन्होंने कहा कि अगर कोई सरकार लिखित में कोई वादा करती है और उसे पूरा नहीं करती तो यह तानाशाही कदम है. सेन ने कहा, ‘मैं पूंजीवाद का बहुत बड़ा समर्थक नहीं हूं. लेकिन दूसरी ओर पूंजीवाद ने अनेक बड़ी सफलताएं दर्ज की हैं.’

उल्लेखनीय है कि सरकार ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत 500 व 1000 रुपये के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया.

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