2012 में विस्तारा का हुआ था जन्म
विदेशी स्वामित्व वाली विस्तारा में 49% हिस्सेदारी रखने वाली सिंगापुर एयरलाइंस के पास विलय के बाद एयर इंडिया में सिर्फ 25.1% हिस्सेदारी रह जाएगी. साल 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) सरकार ने विदेशी एयरलाइंस को एक घरेलू एयरलाइन में 49% तक हिस्सेदारी खरीदने की अनुमति दी थी. इसके बाद अब बंद हो चुकी जेट एयरवेज में खाड़ी क्षेत्र की एयरलाइन एतिहाद ने 24% हिस्सेदारी हासिल की और दूसरी ओर एयरएशिया इंडिया और विस्तारा का जन्म हुआ.
डूब गईं कई विमानन कंपनियां
विस्तारा पिछले 10 वर्षों में परिचालन शुरू करने वाली एकमात्र पूर्ण सेवा वाला वायुयान भी है. वर्ष 2007 में पूर्ण सेवा वाहक (एफएससी) इंडियन एयरलाइंस के एयर इंडिया के साथ विलय के बाद से कम से कम पांच एफएससी ने भारत में शुरुआत की. हालांकि, समय के साथ किंगफिशर और एयर सहारा गायब हो गए. किंगफिशर 2012 में बंद हो गई, जबकि एयर सहारा का जेट एयरवेज ने अधिग्रहण किया. इसका नाम बदलकर जेटलाइट कर दिया गया और यह 2019 में जेट एयरवेज के साथ डूब गई.
इसे भी पढ़ें: गौतम अदाणी को केरल से झटका, तिरुअनंतपुरम एयरपोर्ट के लिए देना होगा जीएसटी
एयर इंडिया के पायलटों में नाराजगी
एयर इंडिया और विस्तारा के विलय से पहले एयर इंडिया के पायलटों का एक तबका टाटा ग्रुप के स्वामित्व वाली दोनों एयरलाइंस के पायलटों के लिए सेवानिवृत्ति की अलग-अलग आयु सीमा को लेकर नाराज है. सूत्रों ने जानकारी देते हुए कहा कि प्रबंधन ने अभी तक इस मुद्दे का समाधान नहीं किया है. वर्ष 2022 की शुरुआत में टाटा के स्वामित्व में आई एयर इंडिया के पायलटों और दूसरे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु 58 साल है. वहीं टाटा ग्रुप की ही दूसरी एयरलाइन विस्तारा में यह सीमा 60 वर्ष है. सूत्रों ने कहा कि एयर इंडिया के पायलटों के एक वर्ग में नाराजगी बढ़ रही है, क्योंकि प्रबंधन ने अभी तक विलय के बाद बनी इकाई के लिए एकसमान सेवानिवृत्ति आयु तय नहीं की है.
इसे भी पढ़ें: मुसीबत में सबसे बड़ा मददगार बना भारत, रूस का तेल बेचकर बना दिया रिकॉर्ड
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.