Bank Share: बाजार में जम गई सरकारी बैंकों की धाक, प्राइवेट की हिस्सेदारी घटी

Bank Share: वित्त वर्ष 2025 में सरकारी बैंकों ने बाजार और ऋण वितरण में मजबूती हासिल की है, जबकि प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई. जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट के अनुसार, एनबीएफसी ने भी हिस्सेदारी बढ़ाई है. सरकारी बैंक अब सुरक्षित ऋण जैसे होम और ऑटो लोन पर फोकस कर रहे हैं, जबकि प्राइवेट बैंक क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत ऋण में सक्रिय हैं. ऋण गुणवत्ता को लेकर चिंता बनी हुई है. यह बदलाव बैंकिंग क्षेत्र की नई दिशा को दर्शाता है.

By KumarVishwat Sen | July 18, 2025 6:10 PM
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Bank Share: भारत के बाजार में सरकारी बैंकों की धाक जम गई है, जबकि प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी लगातार घटती जा रही है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि शेयर बाजार में हाल के दिनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) ने जबरदस्त प्रदर्शन किया है. वहीं, प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी में गिरावट देखी जा रही है. जेएम फाइनेंशियल की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी बैंक विभिन्न ऋण क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं, जबकि प्राइवेट बैंक बाजार हिस्सेदारी गंवा रहे हैं.

वित्त वर्ष 2025 में आंकड़ों का बदलता संतुलन

रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2025 में संवितरण मूल्य के संदर्भ में सार्वजनिक बैंकों की बाजार हिस्सेदारी में 170 आधार अंकों (बीपीएस) की वृद्धि दर्ज की गई. इसके उलट, प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी में 140 आधार अंकों की गिरावट आई. इसके साथ ही, एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां) ने भी 60 बीपीएस की बढ़त हासिल की और उनकी कुल हिस्सेदारी 30.1% तक पहुंच गई है.

सभी सेगमेंट में प्राइवेट बैंकों की गिरावट

जेएम फाइनेंशियल की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राइवेट बैंकों को लगभग हर ऋण खंड में गिरावट का सामना करना पड़ा है. क्रेडिट डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर लोन जेनरेशन तक सभी क्षेत्रों में प्राइवेट बैंक पिछड़ते नजर आ रहे हैं. वहीं, एनबीएफसी और सरकारी बैंक दोनों इन अवसरों का लाभ उठाते दिख रहे हैं.

लोन जेनरेशन में सरकारी बैंकों की हिस्सेदारी में भारी उछाल

वित्त वर्ष 2024 में जहां सरकारी बैंकों का लोन जेनरेशन में हिस्सा 37% था, वहीं वित्त वर्ष 2025 में यह बढ़कर 43% हो गया है. इसके विपरीत, निजी बैंकों की हिस्सेदारी 37% से घटकर 30% रह गई है. इस बदलाव से यह स्पष्ट है कि अब ऋण सृजन में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं.

उधार प्रोफाइल और ऋण का आकार

जब बात उधारकर्ता प्रोफाइल की आती है, तो बैंक उच्च टिकट साइज वाले लोन पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. निजी बैंकों ने छोटे आकार के ऋण को सीमित कर दिया है, जिससे उनका औसत टिकट साइज (एटीएस) 30% तक बढ़ गया है. दूसरी ओर, एनबीएफसी छोटे ऋणों को प्राथमिकता देकर खुद को पीएल (पर्सनल लोन) सेगमेंट में स्थापित कर रही हैं. उनकी औसत टिकट साइज में और गिरावट दर्ज की गई है.

क्रेडिट कार्ड में अभी भी प्राइवेट बैंकों का वर्चस्व

क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में प्राइवेट बैंकों की पकड़ अभी भी कायम है. वित्त वर्ष 2025 में 70% नए कार्ड निजी बैंकों द्वारा जारी किए गए, जो वित्त वर्ष 2021 के 61% से अधिक है.
हालांकि, असुरक्षित पर्सनल लोन में सरकारी बैंकों को नुकसान हुआ है, लेकिन होम लोन और ऑटो लोन जैसे सुरक्षित क्षेत्रों में उन्होंने हिस्सेदारी बढ़ाई है.

लोन की गुणवत्ता पर जताई गई चिंता

रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि असुरक्षित लोन की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है. प्रारंभिक डिफॉल्ट और विलंबित भुगतान दोनों बढ़े हैं, जिससे यह क्षेत्र जोखिम में है. इसके कारण वित्त वर्ष 2025-26 में सभी ऋणदाताओं की कुल ऋण वृद्धि प्रभावित हो सकती है.

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एनबीएफसी की तेजी और जोखिम

एनबीएफसी ने वित्त वर्ष 25 में जो प्रगति की है, वह आगे चलकर उन्हें प्राइवेट बैंकों से आगे ले जा सकती है. लेकिन, इनकी वृद्धि की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी की आवश्यकता है, ताकि जोखिम को नियंत्रित किया जा सके.

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