जंग की आहट से रॉकेट बने डिफेंस कंपनियों के शेयर, उछल-उछलकर की कमाई

Defense Shares: 30 अप्रैल 2025 को डिफेंस कंपनियों के शेयरों में तेजी भारत-पाक तनाव, राफेल-एम डील, और सरकारी नीतियों का परिणाम है. HAL, Mazagon Dock और Paras Defence जैसे शेयर निवेशकों के लिए आकर्षक हैं, लेकिन अस्थिरता के जोखिम को ध्यान में रखना जरूरी है. निवेश से पहले सर्टिफाइड वित्तीय सलाहकार से परामर्श और कंपनी की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण आवश्यक है.

By KumarVishwat Sen | April 30, 2025 6:58 PM
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Defense Shares: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव, खासकर हाल के सीजफायर उल्लंघन और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा चिंताओं के चलते भारतीय डिफेंस कंपनियों के शेयरों में 30 अप्रैल 2025 को उल्लेखनीय तेजी देखी गई. निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में शामिल शेयरों ने बाजार में रॉकेट की तरह प्रदर्शन किया, जिसके पीछे सैन्य उपकरणों की बढ़ती मांग और वैश्विक रक्षा खर्च की संभावनाएं प्रमुख कारण रहीं. डिफेंस कंपनियों को नए ऑर्डर मिलने की उम्मीद है.

डिफेंस शेयरों का प्रदर्शन

30 अप्रैल 2025 को शेयर बाजार में डिफेंस सेक्टर के शेयरों ने निवेशकों का ध्यान खींचा. निफ्टी डिफेंस इंडेक्स में 5-15% की वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछले दो दिनों में 10% से अधिक उछल चुका है.

  • हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL): नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, HAL के शेयरों में आज 8-10% की तेजी देखी गई. कंपनी को हाल ही में रक्षा मंत्रालय से 60,000 करोड़ रुपये के संभावित ऑर्डर की उम्मीद है, जिसने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया.
  • मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड: यह शेयर 12% तक उछला. कंपनी की दूसरी तिमाही में 75.7% की नेट प्रॉफिट वृद्धि (585 करोड़ रुपये) ने इसे निवेशकों का पसंदीदा बनाया.
  • पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज: इकोनॉमिक टाइम्स हिंदी की रिपोर्ट के अनुसार, इस कंपनी के शेयर में 7-9% की वृद्धि दर्ज की गई. कंपनी की मजबूत ऑर्डर बुक और तकनीकी नवाचार इसे आकर्षक बनाते हैं.
  • भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL): बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, 6-8% की तेजी के साथ BDL की मजबूत ऑर्डर बुक और निर्यात क्षमता ने निवेशकों का ध्यान खींचा.
  • गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE): कंपनी के शेयर में 10% की वृद्धि दर्ज की गई. हाल के ऑर्डर और सरकारी निविदाओं ने इसकी स्थिति मजबूत की.
  • कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड: जंग की आहट से कंपनी के शेयर में 5-7% की तेजी आई. कंपनी ने हाल ही में 189 करोड़ रुपये का नेट प्रॉफिट दर्ज किया, जो पिछले साल से 4% अधिक है.
  • सोलार इंडस्ट्रीज: यह शेयर 6% तक बढ़ा. कंपनी के विस्फोटक उत्पाद, जैसे पिनाका मिसाइल और टॉरपीडो के लिए सामग्री, डिफेंस सेक्टर में इसकी मांग बढ़ा रहे हैं.
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL): इसके शेयर में 5-6% की वृद्धि दर्ज की गई. BEL की स्वदेशी तकनीक और ऑर्डर बुक इसे लंबी अवधि के लिए आकर्षक बनाती है.

तेजी के पीछे प्रमुख कारण

  • भारत-पाक तनाव: पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान (भारतीय सैन्य घुसपैठ की चेतावनी) ने निवेशकों को डिफेंस शेयरों की ओर आकर्षित किया. विश्लेषकों का मानना है कि युद्ध की स्थिति, भले ही सीमित हो, रक्षा उपकरणों की मांग बढ़ाएगी.
  • राफेल-एम डील: भारत और फ्रांस के बीच 26 राफेल-एम फाइटर जेट के लिए 63,000 करोड़ रुपये की डील ने डिफेंस सेक्टर में उत्साह बढ़ाया. इस डील से HAL और अन्य कंपनियों को लाभ होने की उम्मीद है.
  • सरकारी नीतियां और बजट: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए डिफेंस बजट 6.21 लाख करोड़ रुपये है, जो स्वदेशी रक्षा उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है. ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल ने स्थानीय कंपनियों को प्राथमिकता दी है.
  • निर्यात वृद्धि: भारत का डिफेंस निर्यात 2023-24 में 21,000 करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो 2016-17 की तुलना में 14 गुना अधिक है. यह डिफेंस कंपनियों की वैश्विक मांग को दर्शाता है.
  • मजबूत ऑर्डर बुक: डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) द्वारा हाल ही में 21,772 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी ने कंपनियों को नए ऑर्डर दिए हैं.

विश्लेषकों की राय

ओमनीसाइंस कैपिटल के डॉ विकास गुप्ता के अनुसार, “युद्ध की आहट से डिफेंस शेयरों में तेजी स्वाभाविक है. सीमित युद्ध में भी हथियारों और गोला-बारूद की मांग बढ़ेगी, जिससे कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिल सकते हैं.” वहीं, एसएसजे फाइनेंस के आतिश मतलावाला कहते हैं, “HAL, Mazagon Dock, और BDL जैसे शेयर मजबूत ऑर्डर बुक और स्वदेशी तकनीक के कारण आकर्षक हैं. ये विदेशी सहयोग पर कम निर्भर हैं.”

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जोखिम और सावधानियां

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि भारत-पाक तनाव अस्थायी हो सकता है और आक्रामक खरीदारी से बचना चाहिए. उनका कहना है कि डिफेंस शेयरों में तेजी के साथ जोखिम भी बढ़ता है. निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिति, ऑर्डर बुक, और दीर्घकालिक संभावनाओं का विश्लेषण करना चाहिए. डिफेंस कंपनियों को इनोवेशन में निवेश करना होगा, अन्यथा उत्पाद पुराने पड़ सकते हैं.

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