वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. कोरोना वायरस महामारी के फैलने से उत्पन्न स्थिति को देखते हुए इन आंकड़ों को संशोधित करना पड़ा.
कोराना वायरस की वजह से लागू किये गये लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों में काफी व्यवधान खड़ा हुआ. केंद्र सरकार ने 25 मार्च 2020 से पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया था, ताकि कोविड- 19 के प्रसार पर अंकुश लगाया जा सके. इसके बाद मई से धीरे-धीरे लॉकडाउन में ढील दी जाने लगी.
पिछले वित्त वर्ष 2019-20 में राजकोषीय घाटा देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले सात साल के उच्चस्तर 4.6 फीसदी पर पहुंच गया. वर्ष के दौरान राजस्व प्राप्ति कमजोर रही, जो कि मार्च आते-आते और कमजोर पड़ गयी.
महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों के दौरान सरकार की राजस्व प्राप्ति 2,27,402 करोड़ रुपये रही. यह राशि वर्ष के बजट के वार्षिक लक्ष्य का 11.3 फीसदी है. पिछले साल इसी अवधि में कुल राजस्व प्राप्ति बजट अनुमान का 19.5 फीसदी रही थी.
अप्रैल से जुलाई के दौरान कर राजस्व 2,02,788 करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 12.4 फीसदी रहा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह बजट अनुमान का 20.5 फीसदी रहा था. आलोच्य अवधि में सरकार की कुल प्राप्ति 2,32,860 करोड़ रुपये रही, जो कि बजट अनुमान का 10.4 फीसदी रही.
सरकार ने बजट में वित्त वर्ष 2020- 21 के दौरान कुल 22.45 लाख करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान लगाया है. वहीं, जुलाई के अंत तक सरकार का कुल व्यय 10,54,209 करोड़ रुपये यानी बजट में पूरे वित्त वर्ष के दौरान होने वाले खर्च का 34.7 प्रतिशत तक पहुंच गया. हालांकि, इससे पिछले वर्ष इसी अवधि में कुल व्यय पूरे साल के बजट अनुमान का 34 प्रतिशत था.
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Posted By : Vishwat Sen
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