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भारतीय शेयर बाजार ने लगातार आठवें साल हासिल की बढ़त
सुनील कौल ने कहा कि अगर आप पैसे के वैश्विक पूल को देखें. जो एशिया और उभरते बाजारों के पूल से भी बड़ा है तो यह अभी भी भारत के मुकाबले कम वजन वाला है. गोल्डमैन के विश्लेषण से पता चला है कि लगभग 2.4 ट्रिलियन डॉलर की संयुक्त संपत्ति वाले वैश्विक म्यूचुअल फंड ऐतिहासिक स्थिति की तुलना में भारत से लगभग 150 आधार अंक कम हैं. रिकॉर्ड ऊंचाई पर कारोबार कर रहे भारत के स्टॉक बेंचमार्क ने लगातार आठवें साल बढ़त हासिल की है क्योंकि निवेशकों ने देश की बढ़ती आर्थिक विकास संभावनाओं पर दांव लगाया है और इसे चीन के संघर्षरत बाजार के विकल्प के रूप में देखा है. उन्होंने कहा कि गोल्डमैन के पास चुनाव के बाद भारत के लिए ‘नीति निरंतरता’ का आधार मामला है. इस साल और अगले साल सालाना लगभग 15% आय वृद्धि की उम्मीद पर बाजार पर अधिक भार है. उन्होंने कहा कि इससे मूल्यांकन पर अंकुश रहना चाहिए. एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स एशिया प्रशांत के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग 50% प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है.
भाजपा के तीन राज्यों में जीत से आयी थी तेजी
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले महीने तीन राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. 1980 से 2019 के बीच, 11 आम चुनाव से पहले के छह महीनों में सेंसेक्स के लिए 14.3% का औसत रिटर्न देखा गया. आकड़ों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय शेयर बाजार, राजनीतिक अनिश्चितता के बीच भी तेजी से आगे बढ़ सकता है. विश्लेषकों के अनुसार, बाजार में एक स्थिर सरकार के गठन को लेकर आशा के कारण बाजार का मजबूत प्रदर्शन रहा है. सैमको सिक्योरिटीज में बाजार परिप्रेक्ष्य के प्रमुख अपूर्व शेठ का कहना है कि मौजूदा मार्केट सिनारियो और पिछले आकंड़ों को देखते हुए ऐसा लगता है कि 10Yrs अमेरिकी बांड यील्ड में नरमी के साथ एक और चुनाव पूर्व रैली हो सकती है. चुनावों से जुड़ा बढ़ा हुआ राजनीतिक खर्च भी बाजार के सकारात्मक भावनाओं में योगदान देता है. देश में पिछला चुनाव साल 2019 में हुआ था. उस चुनाव से छह महीने पहले सेंसेक्स में करीब 10 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला था.
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