जीएसट के तहत 1.39 करोड़ कंपनियां रजिस्टर्ड
आंकड़ों के अनुसार, फिलहाल कंपनी आयकरदाता आधार का केवल 40 प्रतिशत ही जीएसटी के तहत पंजीकृत है. जीएसटी के तहत 1.39 करोड़ कंपनियां रजिस्टर्ड हैं. यह एक जुलाई, 2017 से लागू माल एवं सेवा की संख्या के मुकाबले लगभग दोगुना है. इस दौरान औसत मासिक जीएसटी कलेक्शन भी बढ़ा है. जहां 2017-18 में यह 89,885 करोड़ रुपये रुपये था, वह 2022-23 में बढ़कर 1.50 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया. चालू वित्त वर्ष में अब तक औसत आय 1.69 लाख करोड़ रुपये प्रति महीने रही. उन्होंने कहा कि हम सोच-विचार कर कदम उठा रहे हैं. हम व्यापार अनुकूल कदम उठाने की प्रक्रिया में हैं.
मार्च में वित्त विधेयक में बदलाव की मंजूरी
शशांक प्रिय ने उद्योग मंडल फिक्की के जीएसटी सम्मेलन में कहा कि जीएसटी परिषद से मंजूरी मिलने के बाद हम नियमों को अधिसूचित करने की प्रक्रिया में हैं. हमें कार्यबल के साथ संस्थानों का गठन करना होगा. हमें उम्मीद है कि यह जल्द ही होगा. परिषद न्यायाधिकरण के सदस्यों के कार्य अनुभव और पात्रता को भी मंजूरी देगी. संसद ने मार्च में जीएसटी के तहत विवादों के समाधान के लिए अपीलीय ट्रिब्यूनल गठित करने का रास्ता साफ करने को लेकर वित्त विधेयक में बदलाव को मंजूरी दे दी थी.
प्रत्येक राज्य में स्थापित होगी जीएसटी ट्रिब्यूनल की पीठ
सरकार की ओर से पेश की गई योजना के अनुसार, भारत के प्रत्येक राज्य में जीएसटी ट्रिब्यूनल की पीठ स्थापित की जाएगी, जबकि दिल्ली में एक प्रधान पीठ होगी. फिलहाल, टैक्स अथॉरिटी की व्यवस्था से टैक्सपेयर्स को शिकायत होने पर उन्हें संबंधित हाईकोर्ट में जाना पड़ता है. चूंकि, अदालतों में पहले से ही काफी संख्या में मामले लंबित हैं. ऐसे में, समाधान प्रक्रिया में विलंब होता है. साथ ही, उनके पास जीएसटी मामलों के निपटान को लेकर कोई विशेष पीठ नहीं होती. ऐसे में राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर पीठ स्थापित करने से मामलों का निपटान तेजी से हो सकेगा.
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45,000 फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन जांच के दायरे में
शशांक प्रिय ने आगे कहा कि कुछ कंपनियां हैं, जिन्होंने पंजीकरण प्रक्रिया का दुरुपयोग किया है. अब सीबीआईसी पंजीकरण प्रक्रिया को कड़ा करने और गड़बड़ी करने वालों को पकड़ने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर रहा है. उन्होंने कहा कि फर्जी रजिस्ट्रेशन को पकड़ने के लिए केंद्र और राज्य कर अधिकारियों के दो महीने से जारी अभियान में 13,900 करोड़ रुपये की चोरी से जुड़े 45,000 फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन जांच के दायरे में हैं. इसके अलावा, अधिकारियों ने 1,430 करोड़ रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत तरीके से लाभ लेने को भी रोका है.
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