भारत के लोग नहीं जानते RBI कैसे कमाता है मुनाफा, सरकार को देता है रिकॉर्ड लाभांश

RBI Profit: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2024-25 में सरकार को 2.7 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड लाभांश दिया है. यह मुनाफा डॉलर की बिक्री, सरकारी बॉन्ड पर ब्याज, नोट छपाई और विदेशी निवेश से आता है. RBI हर साल अपने मुनाफे का हिस्सा सरकार को देता है, जिससे वित्तीय घाटा कम करने में मदद मिलती है. इस आय का एक भाग आकस्मिक जोखिम बफर में रखा जाता है.

By KumarVishwat Sen | May 26, 2025 5:37 PM
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RBI Profit: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)ने सरकार को रिकॉर्ड 2.7 लाख करोड़ रुपये का लाभांश यानी डिविडेंड देने का ऐलान किया है. केंद्रीय बैंक ने इस बात की घोषणा पिछले शुक्रवार को की है. लेकिन, देश के ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं होगा कि आरबीआई को कमाई कहां से होती है, जो वह सरकार को इतना अधिक लाभांश देता है. कहा यह भी जाता है कि आरबीआई का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं होता, लेकिन अपनी गतिविधियों के माध्यम से उसे मुनाफा होता है. इसी मुनाफे का एक हिस्सा वह सरकार को लाभांश (डिविडेंड) के रूप में देता है. आइए जानते हैं कि RBI की कमाई के मुख्य स्रोत क्या हैं और यह सरकार को डिविडेंड कैसे देता है?

आरबीआई को विदेशी मुद्रा लेन-देन से मुनाफा

RBI का एक प्रमुख कार्य विदेशी मुद्रा बाजार को स्थिर बनाए रखना है. इसके तहत वह अमेरिकी डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं की खरीद-बिक्री करता है. जब डॉलर सस्ता होता है, तो RBI उसे खरीद लेता है और बाद में जब कीमत बढ़ती है, तो वह उसे बेच देता है. इस अंतर से RBI को भारी लाभ होता है. जब रुपया कमजोर होता है, तो RBI बाजार में डॉलर बेचकर स्थिरता लाता है. यही उसकी कमाई का एक बड़ा जरिया है.

सरकारी बॉन्ड से ब्याज आय

RBI भारत सरकार का बैंकर भी है. यह सरकार की ओर से बाजार से कर्ज जुटाता है. इसके लिए आरबीआई की ओर से बॉन्ड जारी किए जाते हैं. सरकारी बॉन्ड से मिलने वाला ब्याज RBI की आय का प्रमुख स्रोत है. 2024-25 में सरकार को 2.69 लाख करोड़ रुपये का लाभांश मिला, जो पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है. हालांकि, बाजार को इससे अधिक की उम्मीद थी. फिर भी, यह सरकार के लिए एक राहत की खबर है, क्योंकि इससे वित्तीय घाटा कम होगा और महंगाई नियंत्रण के उपायों में सहूलियत होगी.

आरबीआई को नोट छापने से लाभ

RBI भारत में करेंसी छापने का एकमात्र प्राधिकृत संस्थान है. नोटों की छपाई पर लागत कम आती है, जबकि उनकी वास्तविक मुद्रा वैल्यू अधिक होती है. उदाहरण के लिए, 500 रुपये का नोट छापने में 3 रुपये से 4 रुये की लागत आती है, लेकिन इसका मूल्य 500 रुपये ही होता है. इस लागत और मूल्य के अंतर से RBI को अतिरिक्त लाभ होता है.

निवेश से होने वाली आय

RBI विदेशी बॉन्ड, अमेरिकी ट्रेजरी, स्वर्ण भंडार जैसे विभिन्न परिसंपत्तियों में निवेश करता है. जब इन संपत्तियों का मूल्य बढ़ता है या इनमें से ब्याज व लाभांश प्राप्त होता है, तो वह भी RBI की कमाई का हिस्सा होता है. सोने के दाम में बढ़ोतरी भी लाभ का स्रोत बन जाती है.

आकस्मिक जोखिम बफर और लाभांश वितरण

RBI अपनी कुल कमाई का एक हिस्सा कॉन्टिजेंसी रिस्क बफर (CRB) के रूप में रखता है। यह इमरजेंसी फंड होता है. जिससे आर्थिक संकट या आपात स्थिति में काम लिया जा सके. 2019 में बिमल जालान समिति की सिफारिश के अनुसार RBI को 5.5%–6.5% तक का बफर रखना था, लेकिन 2024-25 में इसे बढ़ाकर 7.5% कर दिया गया है. इसके बावजूद लाभांश की राशि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है.

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सरकार के लिए क्यों फायदेमंद है यह लाभांश?

सरकार को RBI से मिलने वाला डिविडेंड बजट घाटा कम करने में मदद करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकार को कम कर्ज लेना पड़ेगा, जिससे बाजार में ब्याज दरों में कटौती संभव हो सकती है. अगर ब्याज दरें घटती हैं, तो आम जनता को लोन और EMI पर राहत मिल सकती है.

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