नयी दिल्ली : कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अंतरराष्ट्रीय मंदी की ओर धकेल दिया है. 2020 में अर्थव्यवस्था की हालात 2009 से भी बदतर हो जायेगी. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टेलिना जॉर्जिवा ने शुक्रवार को वाशिंगटन में एक बैठक के बाद यह बातें कही.
उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस की चपेट में पूरी दुनिया है. विश्व के कई विकासशील देशों पर इसका जबरदस्त असर हुआ है, जिसके कारण उन्हें फिर से उबरने के लिए आर्थिक मदद की जरूरत होगी.
क्रिस्टेलिना जॉर्जिवा ने कहा कि हमारा अनुमान है कि इससे उबरने के लिए 2.5 ट्रिलियन फंड की जरूरत होगी. हो सकता है यह राशि आगे और बढ़ जाये.आईएमएफ प्रमुख ने आगे कहा कि कोरोनावायरस के कारण 83 बिलियन डॉलर की पूंजी बाजार से निकल गई है. दुनिया की कई बड़ी कंपनियां ठप हो गयी है.
80 देशों ने मांगी मदद– एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी तक हमसे 80 कोरोना प्रभावित देशों ने मदद मांगी है. हम सबका मदद करेंगे और सभी को जरूरत के हिसाब से राशि दी जायेगी.
2021 में निदान– आईएमएफ प्रमुख ने कहा कि कोरोना के कारण जो अर्थव्यवस्था पर असर पड़ है, उसका निदान 2020 में मुमकिन नहीं है. उन्होंने कहा, ‘हम 2021 में एक रिकवरी का अनुमान लगा सकते हैं. वास्तव में, एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है, लेकिन केवल तभी जब हम हर जगह वायरस को रोकने में सफल होते हैं नकदी की समस्याओं को दिवालियेपन का मुद्दा बनने से रोकते हैं.’
2009 में क्या हुआ था– 2009 में आयी आर्थिक मंदी का नींव 2002-03 में ही रखा गया था. 2002-04 के दौरान अमेरिका में होम लोन सस्ता और आसान होने से वहां की प्रॉपर्टी की डिमांड बढ़ रही थी, जिसके कारण दाम काफी बढ़ गए थे. तेजी के दौरान लीमैन कंपनी ने लोन देने वाली 5 कंपनियां खरीदी ली थीं. ऊंची कीमत पर प्रॉपर्टी की डिमांड कम हुई तो दाम घटने लगे. कर्ज डिफॉल्ट का खेल शुरू हो गया. जिसका नतीजा यह हुआ कि मार्च 2008 में अमेरिका की दूसरी सबसे बड़ी होम लोन कंपनी बियर स्टर्न्स डूब गई. इसके बाद 17 मार्च को लीमैन के शेयर 48% गिरा तो फिर कभी उठ नहीं पाया.
इसके बाद बैंक ने करप्सी के लिए आवेदन कर दिया और पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी शुरू हो गयी. इस घटना में छह लोगों को दोषी माना गया था.
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