किन-किन जलमार्गों का इस्तेमाल करता है भारत
भारत का करीब 90% व्यापार समुद्री मार्गों से होता है, इसलिए विदेश से हमारे-आपके इस्तेमाल के सामान जलमार्गों के जरिए अपने देश में आते हैं. जिन जलमार्गों के जरिए भारत में विदेशी समानों की सप्लाई की जाती है, उनमें होर्मुज जलडमरूमध्य, मलक्का जलडमरूमध्य, स्वेज नहर, बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य, अरब सागर और हिंद महासागर शामिल हैं. इन जलमार्गों के जरिए भारत के मुंबई, चेन्नई, कांडला, पारादीप, और विशाखापट्टनम के बंदरगाहों पर विदेश से आने वाली वस्तुओं को उतारा जाता है.
किन जलमार्गों से आता है कौन सामान
- होर्मुज जलडमरूमध्य: यह जलमार्ग फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. भारत के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण जलमार्ग है. इसके जरिए कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस (एलएनजी) और अन्य ऊर्जा संसाधन आयात किए जाते हैं.
- मलक्का जलडमरूमध्य: यह दक्षिण चीन सागर और अंडमान सागर को जोड़ता है. इस जलमार्ग के जरिए पूर्वी एशियाई देश चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और दक्षिण-पूर्व एशियाई देश इंडोनेशिया, मलेशिया से आयातित इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और कोयला भारत आते हैं.
- स्वेज नहर: यह लाल सागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है. इस जलमार्ग के जरिए यूरोप, उत्तरी अफ्रीका, और कुछ मध्य पूर्वी देशों से आयातित रसायन, मशीनरी और रिफाइन्ड पेट्रोलियम पदार्थ भारत पहुंचते हैं.
- बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य: यह लाल सागर और अदन की खाड़ी को जोड़ता है. यह स्वेज नहर के रास्ते के जरिए यूरोप और अफ्रीका से भारत आने वाले सामानों के लिए महत्वपूर्ण है.
- अरब सागर और हिंद महासागर: ये खुले समुद्री मार्ग हैं, जो सभी चारों जलडमरूमध्य से भारत के प्रमुख बंदरगाह मुंबई, चेन्नई, कोलकाता, विशाखापट्टनम, कांडला तक सामान लाते हैं.
जलमार्गों से किन देशों से आते हैं सामान
- होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते सऊदी अरब, इराक, कुवैत, कतर, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और ईरान से सामान मंगाए जाते हैं.
- मलक्का जलडमरूमध्य के जरिए चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया से सामानों की आपूर्ति की जाती है.
- स्वेज नहर और बाब-अल-मंदेब जलडमरूमध्य के रास्ते यूरोपीय देश जर्मनी, फ्रांस, इटली, यूके, उत्तरी अफ्रीकी देश मिस्र और अल्जीरिया और कुछ मध्य पूर्वी देश से भारत सामान आते हैं.
- अरब सागर और हिंद महासागर के रास्ते उपरोक्त सभी देशों के अलावा दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और कुछ हिंद महासागर द्वीप के देशों से सामानों की आपूर्ति होती है.
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इजराइल-युद्ध का प्रभाव
इजरायल-ईरान युद्ध या होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद होने का भारत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि यह जलमार्ग भारत की ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार के लिए महत्वपूर्ण है. भारत अपनी 80% से अधिक ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है और इसका अधिकांश कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर आता है. बंद होने पर तेल और गैस की आपूर्ति में कमी, शिपिंग में देरी, और कीमतों में उछाल आ सकता है. ब्रेंट क्रूड की कीमतें 75.32 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 120 डॉलर तक पहुंच सकती हैं, जिससे भारत में पेट्रोल, डीजल और अन्य ईंधन महंगे हो जाएंगे. इससे भारत में महंगाई बढ़ेगी. परिवहन, विनिर्माण और उपभोक्ता वस्तुओं की लागत में बढ़ोतरी दर्ज होगी. होर्मुज जलडमरूमध्य से आने वाले उर्वरक और रासायनिक उत्पादों की आपूर्ति बाधित हो सकती है, जिसका असर कृषि और औद्योगिक क्षेत्रों पर पड़ेगा.
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