भारत ने डेयरी और कृषि क्षेत्र पर दिखाई सख्ती
अमेरिका लगातार भारत से डेयरी और कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में रियायत देने की मांग कर रहा है. हालांकि भारत ने इस पर अपना रुख सख्त रखा है. भारत ने अब तक किसी भी मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) में डेयरी क्षेत्र में शुल्क रियायत नहीं दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में भारतीय किसानों और उत्पादकों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए यह कदम जरूरी है.
वाहन, इस्पात और एल्युमीनियम पर राहत मांग रहा भारत
भारत ने अमेरिका से इस्पात (50%), एल्युमीनियम, और मोटर वाहन (25%) पर लगे अतिरिक्त शुल्क में छूट देने की मांग की है. ये शुल्क ट्रंप प्रशासन के दौरान लगाए गए थे. भारत का कहना है कि अगर ये शुल्क नहीं हटे, तो वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के तहत जवाबी शुल्क का विकल्प सुरक्षित रखेगा. अमेरिका ने हाल ही में इन रेसिप्रोकल टैरिफ को 1 अगस्त 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया है, जिससे यह बातचीत और अधिक संवेदनशील हो गई है.
चीन पर अमेरिकी शुल्क भारत के लिए अवसर: नीति आयोग
उधर, नीति आयोग ने अपनी एक तिमाही रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि अमेरिका की ओर से चीन, कनाडा और मेक्सिको पर लगाए गए हाई टैरिफ भारत के लिए बड़ा निर्यात अवसर बन सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के शीर्ष 30 उत्पाद श्रेणियों में से 22 में भारत को प्रतिस्पर्धी लाभ मिलने की उम्मीद है. इन श्रेणियों का अमेरिकी बाजार मूल्य लगभग 2,285 अरब डॉलर है. इनमें खनिज, परिधान, इलेक्ट्रॉनिक्स, प्लास्टिक, फर्नीचर और समुद्री उत्पाद शामिल हैं. इन श्रेणियों में भारत को चीन की तुलना में शुल्क में बड़ा अंतर मिलेगा, जिससे भारत अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकता है.
भारत-अमेरिका व्यापार आंकड़े
वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-मई अवधि में भारत का अमेरिका को निर्यात 21.78% बढ़कर 17.25 अरब डॉलर हो गया है, जबकि आयात 25.8% बढ़कर 8.87 अरब डॉलर रहा. यह स्पष्ट संकेत है कि दोनों देशों के बीच व्यापार संबंध मजबूत हो रहे हैं.
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द्विपक्षीय व्यापार समझौता और शुल्क नीति से भविष्य निर्धारित
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौता न केवल शुल्क ढांचे को संतुलित कर सकता है, बल्कि निर्यात में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और व्यापार संतुलन का रास्ता भी साफ कर सकता है. भारत जहां अपने संवेदनशील क्षेत्रों की रक्षा करना चाहता है, वहीं अमेरिका अपने घरेलू हितों को साधना चाहता है. इस बीच, नीति आयोग की रिपोर्ट भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई ऊर्जा दे रही है.
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