Indian Currency: भारतीय मुद्रा पर महात्मा गांधी की तस्वीर आज आम बात है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नोटों पर गांधी जी की छवि तय करने से पहले कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों के नामों पर गंभीरता से विचार किया गया था? रबीन्द्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा, और अबुल कलाम आजाद जैसी महान हस्तियों के नामों पर भी मंथन हुआ, लेकिन सर्वसम्मति बनी महात्मा गांधी के पक्ष में.
यह खुलासा भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा प्रस्तुत एक विशेष वृत्तचित्र ‘RBI Unlocked: Beyond the Rupee’ में किया गया है, जो हाल ही में जियो हॉटस्टार पर रिलीज हुई है. इस पांच भागों की श्रृंखला में आरबीआई के कार्य, चुनौतियां और देशभर में मुद्रा वितरण की प्रक्रियाओं को विस्तार से समझाया गया है.
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नोट सिर्फ लेन-देन का जरिया नहीं, पहचान और प्रतीक भी हैं
वृत्तचित्र में कहा गया है कि बैंक नोट सिर्फ भुगतान का माध्यम नहीं बल्कि राष्ट्रीय पहचान, इतिहास, और विकास की गाथा के वाहक भी होते हैं. ब्रिटिश राज के दौरान नोटों पर उपनिवेशवाद का प्रभाव दिखता था. राजाओं के चित्र, सजावटी हाथी और प्रतीकात्मक चित्रांकन इसके उदाहरण थे.
आजादी के बाद, भारतीय नोटों में भी बदलाव शुरू हुआ. शुरुआत में अशोक स्तंभ, राष्ट्रीय धरोहर स्थल, और प्राकृतिक तत्वों जैसे बाघ और हिरण की छवियां दिखीं. जैसे-जैसे देश ने विज्ञान, खेती और तकनीक के क्षेत्र में प्रगति की, नोटों पर आर्यभट्ट, किसान, और हरित क्रांति जैसे विषय आने लगे.
गांधी जी की तस्वीर क्यों बनी पसंद? (Indian Currency)
आरबीआई के अनुसार, समय के साथ यह महसूस किया गया कि यदि नोट पर किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की छवि हो, तो वह न केवल सांस्कृतिक जुड़ाव बढ़ाता है, बल्कि नोट की प्रामाणिकता पहचानने में भी मदद करता है. नकली नोटों की पहचान के लिए भी यह एक उपयोगी संकेत बन जाता है. इस संदर्भ में कई महान हस्तियों के नामों पर विचार किया गया. लेकिन महात्मा गांधी की व्यापक स्वीकृति, आदर्शवाद और राष्ट्रीय एकता के प्रतीक के रूप में उनकी छवि को सबसे उपयुक्त माना गया.
कब से दिखने लगे गांधी जी?
RBI की वेबसाइट के मुताबिक, 1969 में पहली बार गांधी जी की जन्मशताब्दी पर ₹100 का एक स्मारक नोट जारी किया गया था, जिसमें गांधी जी की तस्वीर सेवाग्राम आश्रम के साथ दिखाई गई थी.
1987 में ₹500 के नोट के साथ उनकी तस्वीर नियमित रूप से नोटों में शामिल होने लगी. इसके बाद, 1996 में ‘महात्मा गांधी श्रृंखला’ की शुरुआत हुई, जिसमें नई सुरक्षा विशेषताओं और डिजाइन के साथ नोट जारी किए गए.
रुपये की यात्रा कैसे होती है?
वृत्तचित्र में यह भी बताया गया है कि आरबीआई न केवल मुद्रा छापता है, बल्कि उसे देश के हर कोने तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाता है. इसके लिए रेलवे, हवाई जहाज, जलमार्ग और सड़क परिवहन जैसे सभी माध्यमों का उपयोग किया जाता है.
- लक्षद्वीप जैसे द्वीपों में जलमार्ग
- नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में हवाई मार्ग
- पर्वतीय और रेगिस्तानी इलाकों में विशेष ट्रांसपोर्ट सिस्टम
आरबीआई ने स्पष्ट किया कि चाहे उत्तर का हिमालयी क्षेत्र हो, पश्चिम का रेगिस्तान, या कानून-व्यवस्था से प्रभावित जिलों, हर जगह तक सुरक्षित और समय पर मुद्रा पहुंचाना केंद्रीय बैंक की प्राथमिक जिम्मेदारी है.
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