ग्रामीण विकास में सुधार की दिशा
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी की फंड मैनेजर प्रियंका खंडेलवाल ने कहा कि पिछले दशक में ग्रामीण भारत की सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार ने कई योजनाओं की शुरुआत की, जिससे गरीबी में कमी आई. फिर भी, कृषि आय में सीमित वृद्धि और शहरी आय वृद्धि की बेहतर स्थिति के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत धीमी विकास दर बनी रही. उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में गैर-कृषि नौकरियों के प्रतिशत में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ. इसके बावजूद, अब के दृष्टिकोण में गैर-कृषि क्षेत्रों के लिए एक बेहतर भविष्य दिखाई दे रहा है.
विकास के नए अवसर
उन्होंने कहा कि आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल रूरल अपॉर्चुनिटीज फंड ग्रामीण विकास के इस नए परिदृश्य का लाभ उठाना चाहता है. यह फंड ग्रामीण क्षेत्रों में संरचनात्मक बदलावों और निवेश के अवसरों पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे दीर्घकालिक रिटर्न की संभावनाएं बढ़ती हैं.
रोजगार और उपभोग में सुधार
प्रियंका खंडेलवाल ने कहा कि गैर-कृषि क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ने की उम्मीद है. खासकर, निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्रों में सुधार होने की उम्मीद अधिक है. इसके अतिरिक्त, लाडली बहना जैसी योजनाओं के कारण ग्रामीण उपभोग और बचत में वृद्धि हो सकती है. कृषि क्षेत्र के संकेतक भी सकारात्मक हैं, जिससे कृषि आय में संभावित वृद्धि देखी जा सकती है.
कनेक्टिविटी और ऊर्जा खपत
उन्होंने कहा कि सड़क बुनियादी ढांचे और बिजली की उपलब्धता में सुधार से ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में बढ़ोतरी हो रही है. इसके साथ ही, औद्योगिक खपत के कारण ऊर्जा की खपत में भी वृद्धि होनी चाहिए. विनिर्माण इकाइयों की स्थापना और सरकारी निवेश इस क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत हैं.
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उपभोग क्षेत्र में बदलाव
प्रियंका खंडेलवाल ने कहा कि जैसे-जैसे ग्रामीण भारतीयों की आय बढ़ेगी, वैसे-वैसे उनकी उपभोग आदतों में बदलाव आ सकता है. शहरी भारत में पिछले दशक में जो उपभोग क्षेत्र में बदलाव हुआ था, वही बदलाव अब ग्रामीण भारत में भी देखने को मिल सकता है. स्मार्टफोन, टेलीकॉम और यात्री वाहनों की बढ़ती बिक्री इसके उदाहरण हैं.
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