मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी से हुए नुकसान से पूरी तरह उबरने में भारतीय अर्थव्यवस्था को एक दशक से भी अधिक वक्त लग सकता है. इस रिपोर्ट में अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 महामारी के प्रभाव का विश्लेषण किया गया है.
52 लाख करोड़ के उत्पादन का नुकसान
इसमें अनुमान लगाया गया है कि महामारी की अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग 52 लाख करोड़ रुपये की उत्पादन क्षति हुई है. रिजर्व बैंक की वर्ष 2021-22 के लिए ‘मुद्रा एवं वित्त पर रिपोर्ट’ (आरसीएफ) के ‘महामारी के निशान’ अध्याय में ऐसा अनुमान जताया गया है.
बार-बार की लहरों से अव्यवस्था
इसके मुताबिक, कोविड-19 की बार-बार लहरें आने से पैदा हुई अव्यवस्था अर्थव्यवस्था के सतत पुनरुद्धार के आड़े आयी और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तिमाही रुझान में भी महामारी के मुताबिक उतार-चढ़ाव आये. रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में महामारी की पहली लहर आने से अर्थव्यवस्था में गहरा संकुचन आया था.
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दूसरी लहर से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था
हालांकि, उसके बाद अर्थव्यवस्था ने तेज गति पकड़ ली थी. लेकिन 2021-22 की अप्रैल-जून तिमाही में आयी महामारी की दूसरी लहर ने इस पर गहरा असर डाला. फिर जनवरी 2022 में आयी तीसरी लहर ने पुनरुद्धार की प्रक्रिया को आंशिक रूप से बाधित किया.
महामारी बहुत बड़ा घटनाक्रम
रिपोर्ट में कहा गया, ‘महामारी बहुत ही बड़ा घटनाक्रम रहा है और इससे उत्प्रेरित होकर चल रहे ढांचागत परिवर्तनों से मध्यावधि में वृद्धि की राह बदलने की आशंका है.’ रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड से पहले के समय में वृद्धि दर 6.6 फीसदी (2012-13 से 2019-20 के लिए चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) के आसपास थी.
वास्तविक वृद्धि दर
मंदी के समय को छोड़ दें, तो यह 7.1 फीसदी (2012-13 से 2016-17 में चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर) रही है. इसके मुताबिक, ‘2020-21 के लिए वास्तविक वृद्धि दर नकारात्मक 6.6 फीसदी, 2021-22 के लिए 8.9 फीसदी और 2022-23 के लिए 7.2 फीसदी की अनुमानित वृद्धि दर को देखते हुए अनुमान है कि भारत कोविड-19 से हुए नुकसान की भरपाई 2034-35 तक कर पायेगा.’
सालाना नुकसान
रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2020-21, वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 में उत्पादन को हुआ नुकसान क्रमश: 19.1 लाख करोड़ रुपये, 17.1 लाख करोड़ रुपये और 16.4 करोड़ रुपये रहा है.
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