Iran Israel War का भारत के व्यापार पर सीमित असर, कच्चे तेल की कीमतों से बढ़ सकता है जोखिम

Iran Israel War: इज़राइल ईरान वॅार का असर भारत के व्यापार पर पड़ सकता है. खासकर तेल की कीमतों में बढ़ोतरी, बासमती चावल, हीरे और उर्वरकों के निर्यात और माल ढुलाई की लागत पर इसका असर हो सकता है. अगर संघर्ष बढ़ता है, तो चीजों की आपूर्ति में रुकावटें आ सकती हैं और व्यापार में देरी हो सकती है.

By Shailly Arya | June 20, 2025 1:12 PM
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Iran Israel War: मध्य पूर्व में चल रही अनिश्चितताओं का अभी तक भारत के वैश्विक व्यापार पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ा है, लेकिन अगर स्थिति बिगड़ती है, तो कुछ क्षेत्रों पर इसका प्रभाव बढ़ सकता है. बासमती चावल जैसे कृषि उत्पाद, उर्वरक, और कटे-पॉलिश किए गए हीरे जैसे क्षेत्र इससे प्रभावित हो सकते हैं. कच्चे तेल की कीमतों में पिछले कुछ समय से बढ़ोतरी हुई है और यदि तेल की कीमतें लंबे समय तक ऊंची रहती हैं, तो यह भारत की कंपनियों के मुनाफे को प्रभावित कर सकता है. इससे माल ढुलाई की लागत और बीमा प्रीमियम भी बढ़ सकते हैं, जो निर्यात-आयात आधारित उद्योगों के लिए एक चुनौती बन सकती है.

इजराइल और ईरान के साथ कुल व्यापार

भारत का इजराइल और ईरान के साथ कुल व्यापार बहुत छोटा है (1% से भी कम). हालांकि, ईरान को बासमती चावल का मुख्य निर्यात होता है और इजराइल के साथ व्यापार में उर्वरक, हीरे और बिजली उपकरण शामिल हैं. वित्त वर्ष 2025 में बासमती चावल के निर्यात में इन दोनों देशों का योगदान 14% था. लेकिन चूंकि बासमती चावल एक जरूरी खाद्यान्न है, ऐसे तनावों के बावजूद उसकी मांग पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने की संभावना है. इसके अलावा भारत अन्य देशों जैसे अमेरिका और यूरोप को भी निर्यात करता है, जिससे मांग में कमी का असर कम होगा.

कच्चे तेल की कीमतें

कच्चे तेल की कीमतें यदि और बढ़ती हैं, तो इसका असर विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग तरीके से होगा. अपस्ट्रीम तेल कंपनियों को इससे फायदा हो सकता है, जबकि रिफाइनरी कंपनियों को उच्च लागत के कारण परेशानी हो सकती है. रासायनिक कंपनियों के लिए, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से लागत बढ़ेगी, लेकिन उन्हें यह कीमतें ग्राहकों पर पास करने में मुश्किल हो सकती है. एयरलाइन कंपनियों को भी ईंधन की ऊंची कीमतों से नुकसान हो सकता है, क्योंकि ईंधन उनकी परिचालन लागत का बड़ा हिस्सा है.

इसके अलावा, टायर, पेंट, और लचीली पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों को भी कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का असर हो सकता है.लेकिन इन कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत है, जिससे वे कुछ समय तक इन दबावों को सहन कर सकती हैं.

कुल मिलाकर, भारतीय कंपनियों पर निकट भविष्य में इन अनिश्चितताओं का प्रभाव सीमित रहने की उम्मीद है, लेकिन अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहती है तो इसका असर मुद्रास्फीति और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बढ़ सकता है, जिससे क्रेडिट गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है. क्रिसिल रेटिंग्स इस पर नजर रखे हुए है और अगर स्थिति बिगड़ती है, तो इसका आकलन किया जाएगा.

India’s trade exposure to Israel

FY24FY25
Exports37,482 Rs crore18,170 Rs crore
1.04% share0.49% share
Imports16,599 Rs crore13,654 Rs crore
0.30% share 0.22% share

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