Israel-Iran Conflict: 1 लाख टन बासमती चावल बंदरगाहों पर फंसा, भारत-ईरान व्यापार पर संकट

Israel-Iran Conflict के चलते भारत के कांडला-मुंद्रा पोर्ट पर करीब 1 लाख टन बासमती चावल फंसा, शिपिंग और भुगतान संकट गहराया. घरेलू बाजार में कीमतें 4-5 रुपये किलो तक गिरीं. जानिए ताजा अपडेट और सरकार की तैयारी.

By Abhishek Pandey | June 24, 2025 1:12 PM
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Israel-Iran Conflict: ईरान और इस्राइल के बीच चल रहे तनाव का असर अब भारतीय कारोबार पर भी दिखने लगा है. ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, तकरीबन 1 लाख टन बासमती चावल भारतीय बंदरगाहों पर फंसा हुआ है. यह चावल ईरान के लिए रवाना होना था, लेकिन मौजूदा हालात के चलते इसे आगे नहीं भेजा जा सका.

ईरान, भारत का दूसरा सबसे बड़ा बासमती बाजार

सऊदी अरब के बाद ईरान, भारत के बासमती चावल के लिए दूसरा सबसे बड़ा निर्यात बाजार है. वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत ने ईरान को लगभग 10 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया. एसोसिएशन के अध्यक्ष सतीश गोयल ने बताया कि इस बार जो बासमती चावल फंसा है और वह ईरान को होने वाले कुल निर्यात का लगभग 18-20 प्रतिशत है.

Israel-Iran Conflict: बंदरगाहों पर फंसे जहाज

फिलहाल यह चावल गुजरात के कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर पड़ा है. युद्ध जैसी स्थिति के चलते शिपिंग कंपनियां और बीमा कंपनियां ईरान के लिए जहाज भेजने से कतरा रही हैं. आम तौर पर बीमा पॉलिसियों में अंतरराष्ट्रीय संघर्ष (International Conflict) को कवर नहीं किया जाता, जिससे यह स्थिति और बिगड़ गई है.

घरेलू कीमतों पर भी असर, भारी नुकसान की आशंका

इस देरी की वजह से भारतीय बासमती चावल की घरेलू कीमतों में 4-5 रुपये प्रति किलो की गिरावट देखी जा रही है. सतीश गोयल के अनुसार, अगर यह स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो निर्यातकों को बड़ा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस पूरे मसले पर निर्यातक संगठन ने APEDA के साथ लगातार संपर्क में है. अब इस मुद्दे को लेकर 30 जून को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक भी प्रस्तावित है.

ईरान-इस्राइल संघर्ष के चलते मौजूदा हालात

पिछले कुछ हफ्तों में ईरान-इस्राइल के बीच सैन्य तनाव काफी बढ़ गया है. अमेरिका की भी इस टकराव में प्रत्यक्ष भूमिका देखी जा रही है. इस संघर्ष के चलते शिपिंग सेवाएं बाधित हुई हैं और अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के कारण ईरान से भुगतान और करेंसी से जुड़े मसलों ने भी व्यापारियों के सामने नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं.

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