आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मुद्रास्फीति बढ़ी है, जिससे वास्तविक आधार पर जीडीपी में गिरावट दर्ज की जाएगी. नोमुरा ने कहा कि वृद्धि के नजरिये से जून तिमाही में का आंकड़ा सबसे निम्न स्तर पर होगा और अर्थव्यवस्था में 15.2 फीसदी की गिरावट आएगी. साथ ही, जीडीपी चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में कभी भी सकारात्मक दायरे में नहीं आएगी.
ब्रोकरेज कंपनी के अनुसार, सितंबर तिमाही में इसमें 5.6 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 2.8 फीसदी और मार्च तिमाही में 1.4 फीसदी की गिरावट आने का अनुमान है. इससे पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी पिछले वित्त वर्ष से 6.1 फीसदी कम रहेगा. रिपोर्ट के अनुसार, सकल आपूर्ति के मुकाबले सकल मांग कमजोर बनी रहेगी. इसका कारण खासकर सेवा क्षेत्र की कमजोर गतिविधियां और शहरी खपत मांग में कमी है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘लॉकडाउन’ के कारण मांग पर व्यापक प्रभाव पड़ा है. संकट और आमदनी की अनश्चितता को देखते हुए लोग एहतियातन बचत पर जोर दे रहे हैं. वहीं, आपूर्ति उतनी ही बाधित हुई है, जितने समय तक ‘लॉकडाउन’ के रूप में पाबंदियां लगायी गयीं. नोमुरा ने कहा कि रोजगार और बिजली मांग समेत उच्च आवृत्ति वाले आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर जीडीपी का अनुमान लगाया गया है.
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Posted By : Vishwat Sen
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