जल्द घटने वाली है आपके लोन की ईएमआई, बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन में सुधार की उम्मीद

Loan EMI: अगर आपने होम लोन, कार लोन या SME लोन ले रखा है, तो आपके लिए राहत की खबर है. मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही के बाद बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) में सुधार होगा, जिससे EMI घटने की संभावना है. ब्याज दरों में कटौती के कारण लोन की दरें कम होंगी, जबकि जमा दरों में धीरे-धीरे बदलाव आएगा. इससे आम आदमी को सीधा फायदा होगा और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिति भी मजबूत होगी.

By KumarVishwat Sen | July 14, 2025 4:27 PM
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Loan EMI: अगर आपने होम लोन, कार लोन और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) लोन ले रखी है, तो आपके लिए एक खुशखबरी है. वह यह कि आपके लोन की ईएमएआई यानी मासिक किस्त जल्द ही कम होने वाली है. यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2025-26 की तीसरी तिमाही के बाद भारत में बैंकों के शुद्ध ब्याज मार्जिन ( एनआईएम ) में सुधार होने की उम्मीद है.

ब्याज मार्जिन पर बंटी निवेशकों की राय

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि मार्जिन में मौजूदा नरमी कितने समय तक रहेगी, इस पर निवेशकों की राय बंटी हुई है, लेकिन इस बात पर व्यापक सहमति है कि बड़े और बेहतर प्रबंधन वाले बैंकों के लिए एनआईएम वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही तक अपने निचले स्तर पर पहुंच जाएगा. उसके बाद धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है, “बैंकों को वित्त वर्ष 2026 की तीसरी तिमाही तक एनआईएम के निचले स्तर पर पहुंचने की संभावना है, जिसके बाद धीरे-धीरे सुधार होगा.”

ब्याज दरों में कटौती से मार्जिन में आएगी कमी

रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंकिंग क्षेत्र के लिए एनआईएम (नॉन -इम्पोर्टेड इन्फ्रास्ट्रक्चर इनकम) सबसे ज्यादा निगरानी वाला पैमाना बना हुआ है. हालांकि मौजूदा ब्याज दरों में कटौती के दौरान मार्जिन में कमी आने की संभावना है, लेकिन इस दबाव की सीमा और अवधि पर नज़र बनी रहेगी. जिन बैंकों के पास फ्लोटिंग-रेट लोन बुकका अनुपात अधिक है. विशेष रूप से वे जो रेपो रेट से जुड़े हैं, उन्हें एसेट्स यील्ड पर तत्काल दबाव का सामना करना पड़ सकता है. इसके साथ ही, जमा लागत में धीरे-धीरे कमी आने की उम्मीद है. हालांकि, पुनर्मूल्यन की गति और विषमता प्रमुख अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. खासकर, जब बैंक जमा राशि की तलाश जारी रखे हुए हैं.

दूसरी तिमाही में मार्जिन पर घटेगा दबाव

रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि क्या बैंकिंग क्षेत्र आय में सुधार की ओर बढ़ रहा है? इसमें कहा गया है, ”ऐसा लगता है कि यह क्षेत्र आय में महत्वपूर्ण बदलाव के बिंदु पर पहुंच रहा है. वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही से विकास दर में सुधार की उम्मीद है, क्योंकि मार्जिन पर दबाव कम होने लगेगा. फिर भी, कमजोर एनआईएम के कारण वित्त वर्ष 2026 की पहली और दूसरी तिमाही में संभावित आय में नरमी को लेकर चिंता बनी हुई है.

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वूद्धि संबंधी चिंता बरकरार

हालांकि मार्जिन और वृद्धि संबंधी चिंताओं के कारण इस क्षेत्र में निकट भविष्य में कुछ कन्सोलिडेशन का अनुभव हो सकता है, लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआईएम और कर्ज वृद्धि में क्रमिक सुधार के साथ-साथ स्थिर परिसंपत्ति गुणवत्ता से मध्यम अवधि में बेहतर प्रदर्शन को समर्थन मिलेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि वह मजबूत जमा फ्रैंचाइजी और विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन वाले बैंकों को प्राथमिकता देती है. इसमें आगे कहा गया है कि असुरक्षित क्षेत्रों में लोन की लागत का सामान्यीकरण, बेहतर गुणवत्ता वाला परिसंपत्ति मिश्रण और मजबूत ट्रेजरी प्रदर्शन, बैंकों को व्यापक आर्थिक और ब्याज दर संबंधी चुनौतियों के बावजूद परिसंपत्तियों पर अच्छा प्रतिफल (आरओए) बनाए रखने में मदद करेगा.

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