World Bank Report: भारत ने आय समानता के मामले में अमेरिका-चीन को पछाड़ते हुए चुपचाप वैश्विक स्तर पर रैकिंग के मामले में टॉप पर पहुंच गया है. विश्व बैंक की ओर से जारी किए गए नए आंकड़ों के अनुसार, भारत गिनी इंडेक्स में 25.5 स्कोर के साथ वैश्विक स्तर पर आय समानता के टॉप देशों में शामिल हो गया है. भारत अब इस सूची में चौथे स्थान पर है, जो सिर्फ स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया और बेलारूस से पीछे है.
कैसे होती है गिनी इंडेक्स की गणना
गिनी इंडेक्स जितना कम होता है, समाज में आय वितरण उतना ही समान माना जाता है. भारत का स्कोर अब उसे अमेरिका (41.8), चीन (35.7) और हर जी7 और जी20 देश से आगे रखता है. इससे यह साबित होता है कि भारत अब गहराई से समावेशी विकास मॉडल की ओर बढ़ चुका है.
गरीबी उन्मूलन में तेज प्रगति
विश्व बैंक की स्प्रिंग 2025 की ‘गरीबी और समानता संक्षिप्त रिपोर्ट’ के अनुसार, भारत ने 2011 से 2023 यानी 12 सालों के बीच 171 मिलियन (17.1 करोड़) लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला है. इस दौरान, भारत की गरीबी दर 16.2% से घटकर मात्र 2.3% रह गई है. यह आंकड़ा 2.15 डॉलर रोजाना की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा पर आधारित है. यह बदलाव भारत की नीतिगत दृढ़ता और डिजिटल समावेशन की सफलता को दर्शाता है, जिसने गरीबों तक सहायता पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाई है.
सामाजिक कल्याण योजनाओं की बड़ी भूमिका
भारत के इस आर्थिक परिवर्तन के पीछे सटीक लक्षित सरकारी योजनाएं और डिजिटल शासन प्रणाली मुख्य कारण हैं. इन प्रमुख योजनाओं में प्रधानमंत्री जन धन योजना शामिल है, जिसके तहत करीब 55 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले गए. इसके अलावा, आधार डिजिटल आईडी है. इसके तहत 142 करोड़ से अधिक लोगों को कवरेज मिला. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत मार्च 2023 तक 3.48 लाख करोड़ रुपये की सरकारी बचत की गई.
अन्य सामाजिक योजनाओं का योगदान
इसके अलावा, भारत की आमदनी समानता में जिन अन्य सरकारी योजनाओं ने अहम भूमिका निभाई है, उनमें आयुष्मान भारत योजना शामिल है, जिसके तहत 41 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य कार्ड जारी किए. इसके अलावा, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के अंतर्गत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न दिया गया. स्टैंड-अप इंडिया और पीएम विश्वकर्मा योजना ने उद्यमिता को बढ़ावा दिया और स्वरोजगार को प्रोत्साहित किया गया.
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भारत का समावेशी और न्यायसंगत विकास मॉडल
समाज कल्याण मंत्रालय ने इस उपलब्धि को “भारत की प्रगति का साझा लाभ” बताया है. मंत्रालय ने कहा, “हमारी नीतियां गरीबों की जरूरतों के इर्द-गिर्द केंद्रित रहीं। टेक्नोलॉजी और डिजिटल सिस्टम ने हमें जमीनी स्तर तक प्रभावी तरीके से पहुंचने में मदद की.” जहां अधिकांश विकसित देश आय असमानता की चुनौती से जूझ रहे हैं, वहीं भारत का प्रौद्योगिकी-सक्षम, डेटा-आधारित कल्याण मॉडल विश्व के सामने एक सफल उदाहरण बनकर उभरा है.
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