Medical Expense: हॉस्पिटल के खर्च से ज्यादा डॉक्टर की फीस-दवा के दाम ने काटी जेब, जानें सालभर में कितना बढ़ा खर्च

Medical Expense: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, मरीजों पर दवाओं, लैब टेस्ट और डॉक्टर की फीस का बोझ ज्यादा है. साथ ही, रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में औसत रुप से प्राथमिक स्वास्थ्य तंत्र भी मजबूत नहीं है.

By Madhuresh Narayan | March 4, 2024 2:59 PM
an image

Medical Expense: देश में कोरोना संक्रमण के बाद से लोगों में स्वास्थ्य और मेडिकल सुविधाओं को लेकर काफी जागरुकता बढ़ी है. सरकार के द्वारा भी लोगों की मदद के लिए मेडिकल सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है. हालांकि, इसके बाद भी, लोगों का खर्च इलाज पर बढ़ता जा रहा है. एक रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अस्पताल में होने वाले इलाज से ज्यादा बाहार होने वाले इलाज का खर्च है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, मरीजों पर दवाओं, लैब टेस्ट और डॉक्टर की फीस का बोझ ज्यादा है. साथ ही, रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में औसत रुप से प्राथमिक स्वास्थ्य तंत्र भी मजबूत नहीं है. इसके कारण लोगों का निजी अस्पतालों पर निर्भरता काफी ज्यादा बढ़ गया है.

Read Also: कोई नहीं है टक्कर में… भारत की वृद्धि दर अनुमान को मूडीज ने फिर बढ़ाया

कितना बढ़ा खर्च

हाउसहोल्ड कंजप्शन एक्सपेंडिचर सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022-23 में ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति मासिक आय केवल 3773 रुपये है. जबकि, शहरी क्षेत्र में मात्र 6459 रुपये है. हालांकि, दोनों की क्षेत्रों के लोगों की आय का एक बड़ा हिस्सा इलाज पर खर्च हो रहा है. इसमें हॉस्पिटल और नॉन-हॉस्पिटल दोनों का खर्च शामिल है. ग्रामीण क्षेत्र में प्रति व्यक्ति प्रति महीने के औसत आय का 2.26 प्रतिशत यानी 85 रुपये खर्च है. इसके अलावा, अस्पताल में एडमिट होने से असर 4.77 प्रतिशत यानी 180 रुपये का मासिक खर्च है. शहरी क्षेत्र में प्रति व्यक्ति प्रति महीने के औसत आय का 1.91 प्रतिशत यानी 123 रुपये अस्पताल में एडमिट होने पर खर्च करता है. जबकि, एडमिट होने से अलग चार प्रतिशत यानी 258 रुपये खर्च करता है.

बिना एडमिट बिना का लाभ नहीं

ज्यादातर स्वास्थ्य बीमा में बिना एडमिट के इलाज का खर्च नहीं मिलता है. इसमें ज्यादातर मामलों में केवल अस्पताल का बिल ही एड किया जाता है. बाहर हुए खर्च एड नहीं होते हैं. हालांकि, भर्ती होने पर खर्च कम होने का एक कारण ये है कि सरकारी अस्पतालों में इलाज का खर्च नहीं के बराबर होता है. हालांकि, छोटी बीमारियों के इलाज के लिए लोग निजी क्लीनिक पर ज्यादा आश्रित हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अस्पताल में एडमिट होने के पहले के खर्च को कम करने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत किया जाए.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Business

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version