MSME Day 2025: भारत के सूक्ष्म उद्योगों की पुकार, अब केवल घोषणाएं नहीं, चाहिए ठोस पहल

MSME Day 2025 पर छोटे उद्योगपतियों ने डिजिटल ढांचा, कुशल श्रमिक, बाजार पहुंच और फंडिंग की कमी जैसे मुद्दों को उठाया. टेक्नोलॉजी, सप्लाई चेन, डेटा सुरक्षा और स्किल डेवलपमेंट में सरकार से ज़मीनी सहयोग की मांग की गई, ताकि MSME सेक्टर सशक्त और आत्मनिर्भर बन सके.

By Abhishek Pandey | June 27, 2025 9:24 AM
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MSME Day 2025: हर साल 27 जून को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा “माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेस डे” (MSME Day) मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य इन उद्यमों के योगदान को उजागर करना और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) में उनकी भूमिका को पहचान देना है. भारत में लगभग 6.4 करोड़ MSMEs हैं, जो आर्थिक विकास, रोजगार और नवाचार में अहम भूमिका निभाते हैं.

हालांकि, इन व्यवसायों को चलाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे – डिजिटल अवसंरचना की कमी, स्किल्ड वर्कफोर्स की कमी, सीमित बाजार पहुंच और वित्तीय सहायता की जटिलता.

टेक्नोलॉजी और लॉजिस्टिक्स की कमी

सोना मशीनरी के चेयरमैन वासु नरैन ने बताया कि खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में खराब तकनीक और टूटी हुई लॉजिस्टिक व्यवस्था के कारण गुणवत्ता में गिरावट आती है. उन्होंने मांग की कि रियल-टाइम ट्रेड प्लेटफॉर्म और स्मार्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर को MSME सेक्टर में प्राथमिकता दी जाए. साथ ही डिजिटल आउटरीच और अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में सरकार की सक्रिय भूमिका होनी चाहिए.

आईटी आधारित MSMEs को चाहिए सशक्त इनक्यूबेशन सपोर्ट

ParentVerse के संस्थापक अभिनव राव ने कहा कि आईटी सेक्टर से जुड़े स्टार्टअप्स को अब भी व्यवहारिक मार्गदर्शन, मार्केट एक्सेस और प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता है. उन्होंने सरकारी इनक्यूबेटरों को अधिक प्रायोगिक और परिणाम-आधारित बनाने की बात कही.

स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए जरूरी है R&D और डेटा सुरक्षा

750AD Healthcare की संस्थापक शबनम खान ने दो मुख्य मुद्दे उठाए. अनुसंधान और विकास (R&D) में सहयोग की कमी और डेटा सुरक्षा की चुनौती. उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को AI एकीकरण और डेटा प्रोटेक्शन पर वर्कशॉप आयोजित करनी चाहिए और स्टार्टअप्स को R&D क्रेडिट दिया जाए. Shankar Fenestrations के संस्थापक दिनेश पांडे ने बताया कि प्रशिक्षित श्रमिकों की भारी कमी, ऊर्जा की अनियमित आपूर्ति, और बड़ी कंपनियों से भुगतान में देरी MSME की ग्रोथ में बाधक बन रही हैं. उन्होंने CNC मशीनों और स्मार्ट टेक्नोलॉजी में निवेश किया है, लेकिन बाजार में जागरूकता और मांग अब भी कम है.

ग्रामीण MSMEs के लिए डिजिटल एक्सेस अब भी एक चुनौती

EasyPay के निदेशक निलय पटेल ने कहा कि ONDC जैसे प्लेटफॉर्म ग्रामीण MSMEs को डिजिटल बाजार से जोड़ रहे हैं. उन्होंने फिनटेक कंपनियों, नीति निर्माताओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के बीच बेहतर सहयोग की आवश्यकता बताई. PayNearby के आनंद कुमार बजाज ने कहा कि उद्यम रजिस्ट्रेशन, बिना गारंटी लोन, ONDC और RBI की बैंकिंग पहलें सराहनीय हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वयन को और मजबूत करने की जरूरत है. इन सभी उद्यमियों की बातों से यह स्पष्ट है कि भारत के MSMEs के पास संभावनाओं की कोई कमी नहीं है. लेकिन इन संभावनाओं को हकीकत में बदलने के लिए उन्हें समय पर समर्थन, बाजार तक पहुंच, और नीतिगत लचीलापन की आवश्यकता है. सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सामूहिक सहयोग ही भारत को आत्मनिर्भर MSME राष्ट्र बना सकता है.

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