New Income Tax Bill: 1 अप्रैल से बदलेगा टैक्स का खेल, ये 10 नियम आपको प्रभावित करेंगे

New Income Tax Bill: 1 अप्रैल 2025 से टैक्स नियमों में बड़े बदलाव होंगे. नई दरें, छूट और संशोधित प्रावधान आपके वित्त को प्रभावित कर सकते हैं. जानें ये 10 महत्वपूर्ण बदलाव.

By Abhishek Pandey | March 30, 2025 8:01 AM
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New Income Tax Bill: वित्त वर्ष 2025-26 (आकलन वर्ष 2026-27) के लिए बजट 2025 में कई महत्वपूर्ण आयकर संशोधन किए गए हैं. ये बदलाव टैक्सपेयर  के लिए कर स्ट्रक्चर को सरल बनाने और कर अनुपालन को आसान बनाने के उद्देश्य से लागू किए गए हैं. इन परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए कर प्लानिंग करना आवश्यक है. तो आइए जानते हैं इन बदलावों को विस्तार से और आसान भाषा में.

नई आयकर स्लैब (FY 2025-26 के लिए)

बजट 2025 में धारा 115BAC के तहत नए कर स्लैब प्रस्तावित किए गए हैं. ये स्लैब नए कर व्यवस्था (डिफ़ॉल्ट टैक्स रेजीम) के अंतर्गत लागू होंगे.

आयकर स्लैब (रुपये में)कर दर (%)
0 – 4 लाखशून्य
4 लाख – 8 लाख5%
8 लाख – 12 लाख10%
12 लाख – 16 लाख15%
16 लाख – 20 लाख20%
20 लाख – 24 लाख25%
24 लाख से अधिक30%

धारा 87A के तहत कर छूट में वृद्धि

  • नई कर व्यवस्था के तहत रिबेट लिमिट ₹25,000 से बढ़ाकर ₹60,000 कर दी गई है.
  • अब 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर नहीं लगेगा.
  • पुरानी कर व्यवस्था में छूट सीमा ₹12,500 ही बनी रहेगी

स्रोत पर कर कटौती (TDS) में बदलाव

1 अप्रैल 2025 से TDS की नई सीमा इस प्रकार होगी:

धारापहले की सीमा (₹)नई सीमा (₹)
193 (प्रतिभूतियों पर ब्याज)NIL10,000
194A (अन्य ब्याज आय)50,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए)1,00,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए)
194B (लॉटरी जीत)10,000 (वार्षिक)10,000 (प्रत्येक लेनदेन पर)
194-I (किराया)2,40,000 (वार्षिक)50,000 (मासिक)
194J (व्यावसायिक सेवाओं के लिए शुल्क)30,00050,000

स्रोत पर कर संग्रह (TCS) में बदलाव

धारापहले की सीमा (₹)नई सीमा (₹)
206C(1G) (LRS के तहत प्रेषण)7 लाख10 लाख
206C(1H) (माल की खरीद)50 लाखनहीं लगेगा (छूट)

अपडेटेड टैक्स रिटर्न (ITR-U) की समय-सीमा बढ़ी

अब अपडेटेड टैक्स रिटर्न भरने की समय-सीमा 12 महीनों से बढ़ाकर 48 महीने (4 वर्ष) कर दी गई है.

ITR-U दाखिल करने की अवधिअतिरिक्त कर
12 महीने के भीतर25%
24 महीने के भीतर50%
36 महीने के भीतर60%
48 महीने के भीतर70%

FSC यूनिट्स के लिए कर छूट की अंतिम तिथि 31 मार्च 2030 तक बढ़ा दी गई है, जिससे इन्वेस्टर्स और व्यवसायों को दीर्घकालिक लाभ मिलेगा. विदेशी निवेशकों द्वारा IFSC से खरीदी गई जीवन बीमा पॉलिसी पर कोई कर नहीं लगेगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय निवेश को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, स्टार्टअप्स के लिए भी राहत दी गई है, जहां धारा 80-IAC के तहत 1 अप्रैल 2030 तक पंजीकृत स्टार्टअप्स को पहले 10 वर्षों में से 3 वर्षों के लिए 100% कर छूट दी जाएगी.

कर प्रणाली को सरल बनाने के लिए धारा 206AB और 206CCA को हटा दिया गया है, जिससे TDS और TCS की जटिलताओं में कमी आएगी. भागीदारों के लिए पारिश्रमिक कटौती की सीमा भी बढ़ाई गई है, जहां ₹6,00,000 तक के बुक प्रॉफिट पर अधिकतम ₹3,00,000 या 90% (जो अधिक हो) और ₹6,00,000 से अधिक होने पर 60% की कटौती की अनुमति होगी.

इसके अलावा, उन यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIPs) जिनका वार्षिक प्रीमियम ₹2.5 लाख से अधिक होगा, उनकी आय पूंजीगत लाभ कर के तहत करयोग्य होगी. स्वयं-अधिवासित संपत्तियों के संबंध में भी राहत दी गई है, अब उनकी संख्या दो तक सीमित नहीं रहेगी और यदि स्वामी किसी कारणवश वहां न रह सके तो भी उसे शून्य आय माना जाएगा.

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