New Income Tax Bill: टीडीएस रिफंड दावों और ट्रस्ट के टैक्सेशन में होगा बदलाव, संसदीय समिति ने दिया सुझाव

New Income Tax Bill: संसदीय समिति ने नए आयकर विधेयक 2025 पर रिपोर्ट पेश की है, जिसमें टीडीएस रिफंड दावों को बिना जुर्माने के दायर करने और धार्मिक व परमार्थ ट्रस्टों को मिलने वाले गुमनाम दान को कर मुक्त रखने की सिफारिश की गई है. समिति ने एनपीओ की प्राप्तियों पर कर लगाने का विरोध किया है और आय पर ही कराधान की वकालत की है. यह विधेयक 1961 के मौजूदा आयकर अधिनियम की जगह लेगा और कर प्रणाली में व्यापक बदलाव ला सकता है.

By KumarVishwat Sen | July 21, 2025 5:27 PM
an image

New Income Tax Bill: नए आयकर विधेयक 2025 की समीक्षा कर रही संसदीय समिति ने सोमवार को सुझाव दिया कि व्यक्तिगत करदाताओं को ड्यू डेट के बाद भी बिना जुर्माने के इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर टीडीएस रिफंड का दावा करने की अनुमति दी जानी चाहिए. समिति का मानना है कि ऐसे करदाता, जिन्हें आमतौर पर रिटर्न दाखिल करने की आवश्यकता नहीं होती, उनके लिए यह प्रावधान अनावश्यक बाधा बन रहा है.

धार्मिक एवं परमार्थ ट्रस्टों के लिए राहत की मांग

समिति ने यह भी सुझाव दिया कि धार्मिक और परमार्थ ट्रस्टों को प्राप्त गुमनाम दान को कराधान से मुक्त रखा जाए. रिपोर्ट में कहा गया कि दान पेटी जैसे पारंपरिक माध्यमों से प्राप्त दान में दाता की पहचान संभव नहीं होती. इसलिए ऐसे ट्रस्टों पर टैक्स लगाने से धार्मिक संस्थाओं की वित्तीय स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है.

एनपीओ की आय पर कर लगाने का विरोध

संसदीय समिति ने आयकर विधेयक के उस प्रावधान का विरोध किया है, जिसमें गैर-लाभकारी संगठनों (एनपीओ) की ‘रसीदों’ पर कर लगाने का प्रस्ताव है. समिति का कहना है कि यह वर्तमान आयकर अधिनियम 1961 के उस सिद्धांत के विरुद्ध है, जिसके तहत केवल ‘कुल आय’ पर कर लगाया जाता है. उन्होंने सुझाव दिया कि ‘रसीदों’ की बजाय ‘आय’ शब्द को फिर से लागू किया जाए, ताकि कर सिर्फ शुद्ध आय पर लगे.

गुमनाम दान पर प्रस्तावित 30% कर को बताया अनुचित

आयकर विधेयक 2025 के खंड 337 में सभी रजिस्टर्ड एनपीओ को मिलने वाले गुमनाम दान पर 30% कर लगाने का प्रस्ताव दिया गया है. इसमें केवल धार्मिक ट्रस्टों को ही आंशिक छूट दी गई है. समिति ने इस प्रावधान को अनुचित बताते हुए कहा कि यह वर्तमान कानून (आयकर अधिनियम 1961 की धारा 115बीबीसी) से भिन्न है, जो ज्यादा व्यापक छूट प्रदान करता है.

सरलता के बजाय अस्पष्टता बढ़ने का आरोप

समिति ने टिप्पणी की है कि विधेयक का उद्देश्य भले ही सरलता हो, लेकिन एनपीओ से जुड़ी कर छूट की परिभाषाओं में अस्पष्टता से उलझनें बढ़ सकती हैं. उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि 1961 के अधिनियम की धारा 115बीबीसी के अनुरूप गुमनाम दान के कराधान को स्पष्ट करने वाला प्रावधान शामिल किया जाए.

इसे भी पढ़ें: चमत्कारों का मंदिर! झारखंड के इस शिव धाम में खुद जल चढ़ाती हैं मां गंगा

एनपीओ और करदाताओं के लिए राहत के संकेत

बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली इस समिति की सिफारिशें यदि नए विधेयक में शामिल होती हैं, तो यह व्यक्तिगत करदाताओं और गैर-लाभकारी संगठनों दोनों के लिए राहत लेकर आ सकती हैं. कर व्यवस्था को सरल बनाने के साथ-साथ यह सुझाव भारत के सामाजिक और धार्मिक संस्थानों को वित्तीय स्थिरता भी प्रदान कर सकते हैं.

इसे भी पढ़ें: ‘मुझे आपसे बात नहीं करनी…’ हरभजन सिंह पर भड़की इस क्रिकेटर की बेटी

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें

Business

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version