Corona impact : अब फोन पर डॉक्टर से बातचीत के आधार पर मिलेगी टर्म और मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी

ग्राहकों को ऑनलाइन बीमा उपलब्ध कराने की सुविधा देने वाले मंच पॉलिसी बाजार ने ‘लॉकडाउन' (बंद) के दौरान संबंधित व्यक्ति की शारीरिक तौर पर जांच कराये बिना केवल फोन पर डॉक्टर से बातचीत के आधार पर ‘टर्म इंश्योरेंस' और चिकित्सा बीमा उपलब्ध कराने के लिए कुछ बीमा कंपनियों के साथ गठबंधन किया है.

By KumarVishwat Sen | March 31, 2020 6:01 PM
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नयी दिल्ली : ग्राहकों को ऑनलाइन बीमा उपलब्ध कराने की सुविधा देने वाले मंच पॉलिसी बाजार ने ‘लॉकडाउन’ (बंद) के दौरान संबंधित व्यक्ति की शारीरिक तौर पर जांच कराये बिना केवल फोन पर डॉक्टर से बातचीत के आधार पर ‘टर्म इंश्योरेंस’ और चिकित्सा बीमा उपलब्ध कराने के लिए कुछ बीमा कंपनियों के साथ गठबंधन किया है. कोई भी ग्राहक अब ‘टर्म इंश्योरेंस’ या फिर स्वास्थ्य बीमा कवर शारीरिक तौर पर उपस्थित हुए बिना ही ले सकता है. डाक्टर केवल फोन पर ही पूछताछ करेंगे और बीमाकर्ता को स्वास्थ्य जांच के लिए डॉक्टर के सामने नहीं जाना होगा. आमतौर पर टर्म जीवन बीमा लेने पर बीमाकर्ता की व्यापक रूप से स्वास्थ्य जांच की जाती हैं.

policybazar.com की मुख्य व्यावसायिक अधिकारी (जीवन बीमा) संतोष अग्रवाल ने यह जानकारी देते हुए कहा कि एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस, रेलिगेयर, मैक्स बुपा, एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस और टाटा एआईए ऐसी दर्जन भर कंपनियों में शामिल हैं, जो कि अब टेलीमेडिकल व्यवस्था के जरिये अपने बीमा उत्पाद उपलब्ध कराने की पेशकश कर रही हैं.

अग्रवाल ने कहा कि हालांकि, टेलीमेडिकल की यह सुविधा करीब एक साल पुरानी है, लेकिन इन दिनों देशभर में जारी ‘लॉकडाउन’ को देखते हुए इसको लेकर पूछताछ बढ़ी है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में कोरोना वायरस के फैलाव को देखते हुए टेलीफोन पर जांच के जरिये बीमा उपलब्ध कराना आज समय की जरूरत है. जो भी दो करोड़ रुपये तक का टर्म इंश्योरेंस और एक करोड़ रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर चाहते हैं, उनके लिए मौजूदा दौर में यह सुविधा काफी लाभदायक होगी.

उन्होंने बताया कि टेलीमेडिकल की यह प्रक्रिया पूरी तरह से बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के नियमन दायरे में है और ग्राहक के लिहाज से विश्वसनीय है. हालांकि, अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि यदि ग्राहक द्वारा फोन पर गलत जानकारी दी जाती है और जांच के दौरान यह साबित भी हो जाता है, तो फिर ऐसी स्थिति में बीमा कंपनी के पास बीमा दावे को खारिज करने का पूरा अधिकार होगा.

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