Pakistan: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार बिल्कुल लूली और लंगड़ी नजर आती है. इसका कारण यह है कि शहबाज शरीफ की सरकार केवल पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के हाथों की कठपुतली बनकर रह गई है. पाकिस्तानी सेना के प्रमुख असीम मुनीर पाकिस्तान में संचालित तमाम सरकारी कंपनियों का सीईओ बनकर बैठा हुआ है. यह जानकर आप शायद चौंक जाएंगे, लेकिन ये हकीकत है.
विशाल व्यावसायिक साम्राज्य का करता है संचालन
फर्स्ट पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर न केवल देश की सैन्य शक्ति के टॉप पर हैं, बल्कि एक विशाल व्यावसायिक साम्राज्य के भी संचालनकर्ता हैं. पाकिस्तानी सेना का यह व्यापारिक नेटवर्क, जिसे “मिलबस” (Milbus) कहा जाता है, देश की अर्थव्यवस्था में गहराई से समाया हुआ है और यह सेना के शीर्ष अधिकारियों को निजी लाभ प्रदान करता है.
असीम मुनीर सेना प्रमुख कम और कॉर्पोरेट लीडर अधिक
जनरल असीम मुनीर की भूमिका केवल सैन्य संचालन तक सीमित नहीं है, वह पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उसके नेतृत्व में सेना ने कई व्यावसायिक क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है, जिससे सेना के शीर्ष अधिकारियों को निजी लाभ प्राप्त हो रहा है.
मिलबस सेना का व्यावसायिक साम्राज्य
बिजनेस एंड ह्यूमैन राइट्स रिसोर्स सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार, मिलबस (Milbus) शब्द का इस्तेमाल पाकिस्तान की सेना की ओर से संचालित व्यावसायिक गतिविधियों के लिए किया जाता है, जो सेना के अधिकारियों को निजी लाभ प्रदान करती हैं और जो रक्षा बजट में शामिल नहीं होती. डॉ आयशा सिद्दीका की पुस्तक “मिलिटरी इंक.: इनसाइड पाकिस्तान्स मिलिटरी इकोनॉमी” में बताया गया है कि 2007 में पाकिस्तानी सेना की व्यावसायिक गतिविधियों का मूल्य कम से कम 20 बिलियन डॉलर था. हाल के अनुमानों के अनुसार, यह मूल्य 40 से 100 बिलियन डॉलर के बीच हो सकता है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का लगभग 10% है.
व्यावसायिक क्षेत्रों में सेना की भागीदारी
पाकिस्तानी सेना की व्यावसायिक गतिविधियाँ विविध क्षेत्रों में फैली हुई हैं.
- रियल एस्टेट: पाकिस्तानी सेना डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटी के माध्यम से कराची, लाहौर और इस्लामाबाद जैसे शहरों में हाई प्राइस की आवासीय परियोजनाओं का निर्माण और संचालन करती है.
- सीमेंट और खाद: पाकिस्तानी सेना का सीमेंट और खाद के उत्पादन, वितरण और बिक्री में भागीदारी है.
- बैंकिंग और बीमा: इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना का बैंकिग, बीमा और वित्तीय सेवाओं में निवेश में भी जोरदार दखल है.
- डेयरी और कृषि: कृषि उत्पादन और डेयरी उद्योग में भी पाकिस्तानी सेना की दखल है. दूध से लेकर अनाज तक की बिक्री कैसे होगी, यह सेना तय करती है.
- ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक्स: पाकिस्तान में बस, ट्रेन और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का संचालन पाकिस्तान की सेना करती है.
- अर्थव्यवस्था का प्रमुख खिलाड़ी: इन क्षेत्रों में सेना की भागीदारी ने उसे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है.
आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव
सेना की व्यावसायिक गतिविधियों ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीति पर गहरा प्रभाव डाला है. सेना के अधिकारियों को प्राप्त होने वाले निजी लाभों ने आर्थिक असमानता को बढ़ावा दिया है और नागरिक सरकार की भूमिका को कमजोर किया है. इसके अलावा, सेना की व्यावसायिक गतिविधियां पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के कारण आलोचना का विषय रही हैं.
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मिलबस के जरिए होता है सारा खेल
जनरल असीम मुनीर के नेतृत्व में पाकिस्तानी सेना ने न केवल देश की सुरक्षा में, बल्कि उसकी अर्थव्यवस्था में भी अपनी पकड़ मजबूत की है. मिलबस के माध्यम से सेना ने विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जिससे उसे व्यापक आर्थिक और राजनीतिक शक्ति प्राप्त हुई है. हालांकि, यह शक्ति पारदर्शिता, जवाबदेही और नागरिक शासन के लिए चुनौतियां है, जो पाकिस्तान के लोकतांत्रिक विकास के लिए चिंताजनक है.
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