Petrol-Diesel Price Hike: अमेरिका की ओर से ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद ईरानी संसद ने होर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने का ऐलान किया है. ईरान की ओर से जलडमरूमध्य बंद कर देने के ऐलान के बाद दुनिया भर में संकट के बाद मंडराने लगे हैं. इसका कारण यह है कि होर्मुज जलडमरूमध्य से भारत समेत दुनिया के कई देशों में कच्चे तेल और एलपीजी के आयात प्रभावित होने का खतरा है. सबसे बड़ी बात यह है कि होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते भारत में भी कच्चे तेल और एलपीजी आपूर्ति की जाती है. ऐसे में आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि ईरान की ओर से होर्मुज जलडमरूमध्य के बंद कर देने के बाद भारत में पेट्रोल-डीजल और एलपीजी के दामों में बढ़ोतरी हो सकती है.
इतना महत्वपूर्ण क्यों है होर्मुज जलडमरूमध्य
होर्मुज जलडमरूमध्य दुनिया का सबसे व्यस्त तेल परिवहन मार्ग है. यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें, तो होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते दुनिया भर में करीब 20% से 26% कच्चे तेल और एलएनजी का निर्यात होता है. आशंका यह जाहिर की जा रही है कि इस जलमार्ग को बंद कर देने के बाद चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और भारत में कच्चे तेल और एलएनजी के दाम बढ़ने के साथ इन देशों की अर्थव्यवस्थाएं भी प्रभावित होंगी.
परिवहन और उद्योग होंगे प्रभावित
बताया यह भी जा रहा है कि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने पर एशियाई देशों में ऊर्जा की लागत बढ़ेगी. ऊजा की लागत बढ़ने से इन देशों में परिवहन, उद्योग और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी. तेल की कीमतों में करीब 30% से 50% तक बढ़ोतरी हो सकती है. इसके साथ पूरी दुनिया में महंगाई अपने चरम पर होगी. अमेरिकी गैस की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी होगी.
कैसे प्रभावित होगा भारत
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत होर्मुज जलडमरूमध्य के जरिए ईरान, इराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कुवैत जैसे मध्य पूर्व के देशों से अपनी जरूरत के करीब 40% तेल की आपूर्ति हासिल करता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत रोजाना करीब 5.5 मिलियन बैरल (बीपीडी) कच्चे तेल का आयात करता है, जिसमें से करीब 2 मिलियन बीपीडी होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते आता है.
भारत को नुकसान कम
विशेषज्ञों का कहना है कि होर्मुज जलडमरूमध्य बंद होने से वैश्विक तेल बाजार पर गहरा असर पड़ेगा, लेकिन इससे भारत को अधिक नुकसान होने की संभावना कम है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि कतर भारत का प्रमुख गैस और रूस कच्चे तेल का सबसे बड़ा सप्लायर है. भारत के गैस और कच्चा तेल देने के लिए ये दोनों देश होर्मुज जलडमरूमध्य के रास्ते का इस्तेमाल नहीं करते हैं. कच्चे तेल की आपूर्ति के लिए रूस स्वेज नहर, केप ऑफ गुड होप और प्रशांत महासागर का इस्तेमाल करता है. इसके अलावा, भारत एलएनजी की खरीद अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस से करता है. यह बात दीगर है कि इराक और सऊदी अरब से आने वाले कच्चे तेल के आयात पर थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है.
क्या कहती है भारत सरकार
शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात को अमेरिका की ओर से ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमले के बाद होर्मुज जलडमरूमध्य की चर्चा जोर-शोर से होने लगी. रविवार को ईरानी संसद ने इस प्रमुख जलमार्ग को बंद करने की धमकी तक दे डाली. उसके इस ऐलान के बाद भारत के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत मध्य पूर्व में भू-राजनीति पर बारीकी से नजर रख रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ने खरीद स्रोतों में विविधता लाकर यह सुनिश्चित किया है कि अब इन आपूर्तियों का बड़ा हिस्सा होर्मुज जलडमरूमध्य से होकर नहीं आता है.
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तेल विपणन कंपनियों के पास पर्याप्त भंडार मौजूद
हरदीप पूरी ने आगे कहा, “हमारी तेल विपणन कंपनियों के पास कई हफ्तों के लिए आपूर्ति है और उन्हें कई मार्गों से ऊर्जा आपूर्ति मिल रही है. हम अपने नागरिकों को ईंधन की आपूर्ति की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे.” मंत्री ने दोहराया कि भारत के पास कच्चे तेल और गैस की पर्याप्त आपूर्ति है और भारत किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है. भारत में रोजाना खपत होने वाले 5.5 मिलियन बैरल कच्चे तेल में से लगभग 1.5-2 मिलियन बैरल होर्मुज जलडमरूमध्य के माध्यम से आते हैं. भारत अन्य मार्गों से लगभग 4 मिलियन बैरल आयात करता है.
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