PPS: देश में धोखाधड़ी करने वालों की कमी नहीं है. अवैध तरीके से पैसा कमाने के लिए साइबर क्रिमिनल घर बैठे लोगों को चूना तो लगा ही रहे हैं, लेकिन कुछ फ्रॉड आपके चेक में भी हेराफेरी करके आपको आर्थिक चपत लगा दे रहे हैं. इस तरह के आर्थिक नुकसान से आपको बचाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने एक सिस्टम ईजाद किया है. इसे अपनाने के बाद आपके चेक के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं कर सकता और न ही आपको वित्तीय नुकसान पहुंचा सकता है.
चेक में होने वाली धोखाधड़ी से बचने का उपाय क्या है?
अगर आप चेक के माध्यम से 50 हजार रुपये से अधिक का भुगतान कर रहे हैं, तो आप आरबीआई द्वारा लागू किए गए पॉजिटिव पे सिस्टम यानी पीपीएस का इस्तेमाल कर सकते हैं. 50 हजार रुपये से अधिक वाले चेक को हाई वैल्यूड चेक कहा जाता है. हाई वैल्यूड चेक के साथ पीपीएस का इस्तेमाल करने के बाद चेक-आधारित ट्रांजेक्शन की सुरक्षा बढ़ती है और धोखाधड़ी का जोखिम भी कम रहा है. हालांकि, फिलहाल पीपीएस हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन बैंक ऑफ बड़ौदा, एचडीएफसी, एसबीआई, पंजाब नेशनल बैंक और आईसीआईसीआई जैसे कुछ बैंकों में 50 हजार से अधिक के भुगतान पर इसका इस्तेमाल करना जरूरी है.
पॉजिटिव पे सिस्टम क्या है?
पॉजिटिव पे सिस्टम भारतीय नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन यानी एनपीसीआई की ओर से तैयार किया गया एक मैकेनिज्म है. इस सिस्टम के माध्यम से बैंक उन ग्राहकों को चेक से किए जा रहे भुगतान की जानकारी देते हैं, जिस बैंक के खाते से पैसे की कटौती होनी है. उदाहरण के तौर पर अगर आपने किसी रामलाल नामक व्यक्ति के नाम से 1 लाख रुपये का चेक काटकर दिया. मान लीजिए कि आपका बैंक खाता एसबीआई में है. तब रामलाल को 1 लाख रुपये का भुगतान करने से पहले एसबीआई का कर्मचारी आपको फोन कॉल करके सूचना देगा कि आपने रामलाल के नाम से 1 लाख रुपये का चेक जारी किया है. अब उसका भुगतान किया जा रहा है. क्या आपने रामलाल के नाम से 1 लाख रुपये का चेक जारी किया है? इस जानकारी में ग्राहक बैंक को चेक नंबर, तारीख और राशि का विवरण उपलब्ध कराता है.
भारत में पॉजिटिव पे सिस्टम कब लागू किया?
भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने 1 जनवरी 2021 से देश के बैंकों के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम लागू करने के लिए गाइडलाइन्स जारी किया था. इसके बाद से देश के ज्यादातर बैंक अपने यहां पॉजिटिव पे सिस्टम को लागू कर चुके हैं. इसके लागू होने का एक फायदा यह है कि चेक से भुगतान होने से पहले चेक जारी करने वाले ग्राहक को जानकारी देने के बाद किसी प्रकार की धोखाधड़ी की गुंजाइश नहीं रहती. दूसरा फायदा यह है कि बैंक के द्वारा विस्तृत विवरण दे देने के बाद कोई ग्राहक बैंक पर चेक के माध्यम से धोखाधड़ी होने का आरोप नहीं लगा सकता. इसमें खास बात यह है कि अगर चेक में दिए गए विवरण ग्राहक द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी से मेल खाते हैं तो भुगतान कर दिया जाता है. वहीं, जानकारी और विवरण आपस में मेल नहीं खाते हैं, तो चेक वापस भेज दिया जाता है.
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